
शांतिनिकेतन, 03 जून (Udaipur Kiran) । शांतिनिकेतन स्थित सुप्रसिद्ध चित्रकार अबनिंद्रनाथ ठाकुर के ऐतिहासिक घर ‘आवास’ को तोड़े जाने की घटना पर प्रशासन सख्त रुख अपनाने की तैयारी में है। बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट आंदोलन के अग्रणी स्तंभ रहे अबनिंद्रनाथ ठाकुर के इस धरोहर घर को वर्तमान मालिक द्वारा कथित रूप से एक रियल एस्टेट डेवेलपर की मदद से आंशिक रूप से गिरा दिया गया है, जबकि नगर पालिका की ओर से पहले ही इसे न छेड़ने का स्पष्ट निर्देश दिया गया था।
बोलपुर नगर पालिका की चेयरपर्सन पारणा घोष ने मंगलवार को बताया कि ‘आवास’ नामक इस ऐतिहासिक संपत्ति को किसी भी प्रकार से न बदलने का नोटिस पहले ही भेजा गया था। इसके बावजूद मालिक ने डेवलपर की मदद से इमारत का बड़ा हिस्सा ढहा दिया।
घोष ने कहा कि हम ‘आवास’ की जो भी बची हुई संरचना है, उसकी रक्षा करेंगे। नोटिस के बावजूद इमारत गिराने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि अब केवल इस घर का दरवाजा और बाउंड्री वॉल पर उकेरा गया ‘आवास’ नाम ही शेष रह गया है।
अबनिंद्रनाथ ठाकुर, नोबेल पुरस्कार विजेता कवि रवींद्रनाथ ठाकुर के भतीजे थे और शांतिनिकेतन प्रवास के दौरान वे इसी ‘आवास’ में रहा करते थे। यह घर शांतिनिकेतन के ‘अबनपल्ली’ इलाके में स्थित था, जिसे उन्हीं के नाम पर बसाया गया था। अबनिंद्रनाथ को 1942 में विश्वभारती विश्वविद्यालय का दूसरा आचार्य (चांसलर) नियुक्त किया गया था, जब 1941 में रवींद्रनाथ ठाकुर का निधन हो गया था। यह विश्वविद्यालय 1921 में रवींद्रनाथ द्वारा स्थापित किया गया था और 1951 में इसे संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्त्व की संस्था घोषित किया गया।
विश्वभारती की पूर्व कार्यवाहक कुलपति और आश्रमवासी सबुजकली सेन ने इस घटनाक्रम पर गहरा दुख जताते हुए कहा, “हम व्यथित हैं कि अबनिंद्रनाथ ठाकुर से जुड़ी इस स्मृति-स्थली को इस प्रकार ध्वस्त कर दिया गया। इससे हमारी सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नष्ट हो गया।”
राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने जब इस घटना की जानकारी दी तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अबनिंद्रनाथ ठाकुर हमारे राष्ट्रीय गौरव हैं। यह संतोष की बात है कि उनके अन्य कई घर आज भी संरक्षित हैं, जिनमें हुगली ज़िले के कोन्नगर स्थित एक संपत्ति शामिल है जिसे स्थानीय नगरपालिका द्वारा संजोया जा रहा है।
अबनिंद्रनाथ ठाकुर की ‘भारत माता’ (1905) नामक प्रसिद्ध चित्रकला को राष्ट्र की प्रतीकात्मक प्रस्तुति माना जाता है, जिसमें भारत को चार भुजाओं वाली देवी के रूप में दर्शाया गया है। वे बच्चों के लिए कहानियां भी लिखा करते थे, जिन्हें इतनी सुंदरता से वर्णित किया गया कि यह कहा जाने लगा — अबनिंद्रनाथ ‘चित्र बनाते नहीं, चित्र लिखते हैं’। उनका निधन 1951 में 80 वर्ष की आयु में हुआ था।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
