पौड़ी गढ़वाल, 18 मई (Udaipur Kiran) । जनपद में तकनीकी के सहयोग से एक नई शुरुआत करते हुए मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिले में काव्या ऐप गर्भवती महिलाओं के लिए जीवनदायी साबित हो रहा है। हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को समय पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने और सुरक्षित प्रसव कराने के लिए जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने जनवरी 2023 में काव्या ऐप की शुरुआत की। जिसमें अभी तक 511 हाई रिस्क महिलाओं का पंजीकरण किया गया है, जिनमें से 448 महिलाओं का सफल एवं सुरक्षित प्रसव करवाया गया है।
काव्या ऐप की निगरानी तीन चरणों में की जा रही है। जिसमें ब्लॉक स्तर पर उप जिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, प्रभारी चिकित्सा अधिकारी और ब्लॉक प्रबंधन इकाई इसकी निगरानी करते हैं। वहीं जिला स्तर पर इसकी निगरानी करने में मुख्य चिकित्साधिकारी, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी और जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई का अहम रोल होता है। साथ ही जिलाधिकारी स्वयं भी समय-समय पर काव्या ऐप की समीक्षा करते हैं। विषम परिस्थतियों वाले पौड़ी गढ़वाल जैसे पहाड़ी जिले में, जहां वर्षा ऋतु में आवागमन या अन्य के कारण कठिनाइयां हो जाती है, वहां गर्भवती महिलाओं का समय पर सुरक्षित प्रसव कराना एक बड़ी चुनौती होती है। इसलिए काव्या ऐप पर हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं को आशाओं के माध्यम से चिन्हित कर पंजीकरण किया जाता है।
चिकित्सक निरंतर रूप से इनकी मॉनिटरिंग करते हैं और उनके प्रसव निर्धारित तिथि से पूर्व ही उन्हें अस्पताल लाया जाता है, जिससे उनका सफल प्रसव हो सके। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. पारुल गोयल ने बताया कि काव्या ऐप में वर्ष 2023 में 179 हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव किया गया। वहीं वर्ष 2024 में यह संख्या बढ़कर 234 हुई और वर्ष 2025 में वर्तमान तक 35 सुरक्षित प्रसव हो चुके हैं, जबकि 63 गर्भवती महिलाएं निगरानी में हैं और उनके सुरक्षित प्रसव की योजना तैयार की गयी है।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान बताते हैं कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं के लिए काव्या ऐप की शुरुआत 2023 में की गई है। काव्या ऐप में पंजीकृत महिलाओं का आज सफलता पूर्वक प्रसव भी किया जा रहा है। काव्या ऐप की प्राथमिकता प्रत्येक उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिला की पहचान करना, उसे ट्रैक करना और उसके लिए समय पर योजना बनाना है, ताकि अंतिम समय में कोई जीवन संकट में न आए। हमने तीन स्तरों पर इसकी निगरानी व्यवस्था बनायी है, जिससे न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि प्रशासनिक अधिकारी भी प्रत्यक्ष रूप से जुड़कर इन मामलों को गंभीरता से लेते हैं।
(Udaipur Kiran) / कर्ण सिंह
