Delhi

(अपडेट) हादसे में जान गंवाने वालों का हुआ पोस्टमार्ट, अभी दर्ज नहीं हुआ केस

नई दिल्ली रेलवे की फोटो

नई दिल्ली, 16 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। जबकि 12 लोग इस हादसे में घायल हुए। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। घटना के बाद पुलिस ने रातों-रात मृतकों के शवों को एलएनजेपी, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में पोस्टमॉर्टम कराया और सुबह परिजनों को सौंप दिया। रेलवे ने हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का ऐलान किया है। वहीं गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को 2.5 लाख रुपये और हल्की चोटों वालों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। मृतकों में पांच नाबालिगों के अलावा 11 महिलाएं व दो पुरुष शामिल हैं। वहीं बीती देर रात हुए हादसे के बाद लोगों ने रेलवे प्रशासन पर लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है। इसी को देखते हुए रेलवे प्रशासन ने दो सदस्य वाली हाई लेवल कमेटी से जांच कराने के आदेश दिए हैं। रेलवे पुलिस के अनुसार जांच कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। जांच कमेटी ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की सभी वीडियो फुटेज जुटाने के आदेश दिए हैं। वहीं मामले में अभी तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

घटना की कहानी लोगों की जुबानी

दर्दनाक मंजर से बचकर आए चश्मदीदों कहानी उन्हीं की जुबानी

चश्मदीद संगम विहार निवासी हीरालाल ने बताया कि हम लोग 7 लोग महाकुंभ के लिए प्रयागराज जाने वाले थे। हमने टिकट भी खरीद लिया था। प्लेटफार्म पर खड़े थे ही कि तभी रेलवे की अनाउंसमेंट हुई, ट्रेन 16 नंबर प्लेटफार्म पर आ रही है। हम तब 12 नंबर प्लेटफार्म पर थे। अनाउंसमेंट सुनकर हम लोग भी बाकी यात्रियों की तरह फुटओवर ब्रिज से प्लेटफार्म 16 की दौड़ने लगे।

हीरालाल के अनुसार प्लेटफार्म 16 पर खड़े यात्री भी तब दूसरे प्लेटफार्म की तरफ फुटओवर ब्रिज से ही जाने लगे। इसी बीच भगदड़ शुरू हुई, जो भी भगदड़ मची वो फुटओवर पर ही मची। लोग एक दूसरे पर गिरते चले गए। बाकी लोग उनपर चढ़ते हुए खुद की जान बचाने के लिए इधर उधार भागने लगे। हम लोग भी बड़ी मुश्किल से जान बचाकर वहां से निकले।

हीरालाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि रेल प्रशासन से कोई मदद के लिए नहीं पहुंचा। देखते ही देखते कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी।

हीरालाल के अनुसार जितनी मौत हुईं वो फुटओवर ब्रिज पर ही हुईं। जब प्रशासन पहुंचाया तो थोड़ी ही देर बाद सब कुछ वहां से साफ हो गया। उस जगह न तो कोई शव था और न ही भीड़।

वहीं एक अन्य यात्री धर्मेंद्र सिंह ने बताया, ‘वह प्रयागराज जा रहे था लेकिन कई ट्रेनें देरी से चल रही थीं या रद्द कर दी गई थीं। स्टेशन पर बहुत भीड़ थी। उन्होंने इस स्टेशन पर पहली बार इतनी भीड़ देखी। धर्मेंद्रके अनुसार उनके सामने ही छह-सात महिलाओं को स्ट्रेचर पर ले जाया गया। उनकी सांसे नहीं चल रही थी। प्रेम प्रकाश ने बताया कि उनके पास पुरुषोत्तम एक्सप्रेस का स्लीपर क्लास का टिकट था, लेकिन कन्फर्म टिकट वाले भी ट्रेन में नहीं चढ़ पाए। मेरे एक दोस्त और एक महिला यात्री भीड़ में फंस गए। बहुत ज्यादा धक्का-मुक्की हुई। हम अपने बच्चों के साथ जैसे तैसे बचकर बाहर निकले है। वहीं दिल्ली के प्रेम नगर में रहने वाली स्वाति ने बताया कि वह अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ कुंभ जाने के लिए ट्रेन पकड़ने आई थी। रोते हुए स्वाति ने कहा कि इस काली राात को वह जीवन भर नहीं भूल पांएगी। यहां लोगों ने जारा सी भी इंसानियत नहीं दिखाई। क्या महिला क्या बच्चे लोग

सभी को कुचलते हुए भाग रहे थे। स्वाति के अनुसार इस घटना के बाद वह अब कभी जिंदगी में दोबारा स्टेशन नहीं आयेंगी।भगदड़ में छूट गया साथ बिहार के रहने वाले पप्पू ने इस भगदड़ मेंं अपनी सास को खो दिया। उन्होंने बताया कि अगर उनकी सास को समय पर अस्पताल पहुंचाया गया होता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। हादसे के बाद बदहवास पप्पू ने बताया कि उनकी सास की मौत हो गई। उनकी नाम कष्णा था और वह 50 वर्ष के करीब थी। पप्पू के अनुसार शाम 4 बजे ही प्लेटफॉर्म पर आ गए थे। हम दिल्ली से बिहार के दानापुर जा रहे थे। वह प्लेटफॉर्म 15 पर ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। इसी बीच करीब साढ़े आठ बजे भगदड़ मच गई। जिसमें कई लोग दब गए। रोते हुए पप्पू ने बताया कि वह सास को अपनी मां की तरह मानते थे। काफी समय से उनकी सास उन्हें बोल रही थी प्रयागराज लेने जाने के लिए। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह कैसे अब सास के शव को लेका जाए।वहीं संगम विहार में रहने वाली पिंकी अपने परिवार के 12 लोग के साथ कुंभ के लिए जा रही थी। प्लेटफॉर्म पर पहुंचते ही भगदड़ मच गई जिसमें पिंकी दब गई। उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टर मृत घोषित कर दिया।

पिंकी के भाई संजय ने बताया कि हम लोग 12 लोग जा रहे थे कुंभ में अपने परिवार के साथ मगर जिस तरीके से यह हादसा हुआ है मेरी वाइफ को हल्की-फुलकी चोट आई है मेरे बच्चे को भी चोट आए हैं मगर सभी लोग घर आ गए हैं मगर मेरी बहन पिंकी इस दुनिया से चली गई परिवार वाले का रोक कर बुरा हाल है।वहीं रेलवे डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ​​ने घटना के बाद कहा अब हमारी काेशिश रहेगी कि अगर सामने ट्रेन है तो हम उतने ही लोगों को नीचे भेजेंगे जो आराम से उस ट्रेन में जा सकते हैं। थोड़ा अनुशासन के साथ चला जाए तो ऐसे हादसों की संभावना काफी कम हो सकती है। अगर किसी को लगता है कि प्लेटफॉर्म पर भीड़ बढ़ रही है तो उस समय ट्रेन में चढ़ने से ज्यादा बेहतर है रुक जाना। अभी हमारा पूरा ध्यान वर्तमान प्रबंधन में हैं।

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(Udaipur Kiran) / कुमार अश्वनी

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