शिमला, 03 जून (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश में भूमि अधिग्रहण के लिए चार गुना मुआवजा देने को लेकर सियासत गर्मा गई है। प्रदेश सरकार ने मौजूदा आर्थिक हालात का हवाला देते हुए फैक्टर-2 के तहत मुआवजा देने में असमर्थता जताई है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा है कि सरकार चार गुना मुआवजा देने की स्थिति में नहीं है।
राजस्व मंत्री नेगी ने कहा कि भाजपा की पूर्ववर्ती डबल इंजन सरकार भी इस व्यवस्था को लागू नहीं कर सकी थी और मौजूदा सरकार की आर्थिक हालत भी इसे वहन करने योग्य नहीं है। उन्होंने कहा कि फैक्टर-वन के तहत कुछ अतिरिक्त प्रावधान जोड़कर प्रभावितों को एक उचित राशि दी जा रही है।
हालांकि सरकार के इस रुख से फोरलेन परियोजनाओं से प्रभावित लोग नाराज हैं। फोरलेन संघर्ष समिति के संरक्षक रिटायर्ड ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर ने सरकार को 2022 के विधानसभा चुनाव में किए गए वादे की याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने उस समय फैक्टर-2 लागू करने का स्पष्ट वचन दिया था। ठाकुर ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से जुड़े अधिकांश प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के हैं और मुआवजे की राशि भी केंद्र से ही आती है, ऐसे में राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ता।
उन्होंने यह भी दोहराया कि भूमि अधिग्रहण का कानून 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाया गया था जिसमें चार गुना मुआवजे का प्रावधान है। ठाकुर ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार कोर्ट द्वारा 2015 की अधिसूचना को रद्द करने के बावजूद अपने वादे से पीछे हट रही है।
संघर्ष समिति ने साफ संकेत दिया है कि यदि वादा पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन को तेज किया जाएगा। प्रभावितों ने इस मसले को सिंगल इंजन बनाम डबल इंजन की बहस से अलग रखने की अपील की है और इसे न्याय और अधिकारों से जुड़ा मामला बताया है।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
