
कोलकाता, 04 मार्च (Udaipur Kiran) । उकसाने वाले बयान के मामले में अभिनेता और भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती को कोलकाता हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि पुलिस उनके खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकती। हालांकि, पुलिस जांच जारी रहेगी और मिथुन को जांच में सहयोग करना होगा।
पिछले साल नवंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कोलकाता दौरे के दौरान पूर्वी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र में भाजपा की सदस्यता अभियान सभा आयोजित की गई थी। इस कार्यक्रम में मिथुन चक्रवर्ती ने भाषण दिया था। आरोप है कि उन्होंने अपने भाषण में ऐसे बयान दिए, जो उकसावे वाले थे और इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई गई। इसी शिकायत पर विधाननगर दक्षिण थाने में कौशिक साहा नामक व्यक्ति ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में मिथुन पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा आठ के तहत आरोप लगाए गए। इसके अलावा बउबाजार थाने में भी एक शिकायत दी गई थी।
एफआईआर रद्द करने की मांग को लेकर मिथुन चक्रवर्ती ने हाई कोर्ट का रुख किया। मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष ने आदेश दिया कि 20 मई तक मिथुन के खिलाफ पुलिस कोई कड़ी कार्रवाई नहीं कर सकेगी। हालांकि, जांच प्रक्रिया जारी रहेगी और मिथुन को उसमें सहयोग करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच के दौरान मिथुन को किसी मुश्किल में डालने वाले कदम न उठाए जाएं।
कोर्ट ने यह भी माना कि मिथुन मुंबई के स्थायी निवासी हैं और बार-बार कोलकाता आकर शारीरिक रूप से पेश होना उनके लिए संभव नहीं है। अगर पूछताछ की जरूरत होती है तो पुलिस उन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सवाल पूछ सकती है।
हाई कोर्ट ने सुनवाई में यह भी कहा कि मिथुन के कथित भड़काऊ बयान के कारण कहीं कोई गड़बड़ी हुई हो, इसका कोई ठोस उदाहरण पुलिस पेश नहीं कर सकी। न ही किसी के नुकसान का प्रमाण अदालत में रखा गया। ऐसे में इस मामले की वैधता पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। अदालत ने याचिकाकर्ता और राज्य सरकार दोनों से हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई मई में होगी।
गौरतलब है कि मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ इससे पहले भी उनके बयानों को लेकर मामले दर्ज हुए हैं। 2021 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी फिल्मों के संवाद बोलकर कथित तौर पर धमकी दी थी। उस मामले में भी हाई कोर्ट ने जांच पर रोक लगाते हुए कहा था कि फिल्मों के संवाद बोलना अपराध नहीं है। अदालत ने यह भी कहा था कि चुनावी सभाओं में कई नेता फिल्मों के डायलॉग बोलते हैं, तो क्या उन पर भी केस दर्ज किया जाएगा?
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
