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हिन्दू हास्टल चौराहे पर वकीलों से पुलिसिया मारपीट मामले की हाईकाेर्ट ने की सुनवाई, अधिकारियाें से जवाब तलब

इलाहाबाद हाईकाेर्ट्

-हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आपराधिक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने की सुनवाई-मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर, डीएम, मेलाधिकारी, डीसीपी ट्रैफिक से जवाब तलब

प्रयागराज, 06 फरवरी (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर वकीलों को न्यायालय आने से रोकने और उनके साथ पुलिस द्वारा मारपीट की घटना को लेकर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आपराधिक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब तलब किया है। कोर्ट ने मंडलायुक्त, पुलिस कमिश्नर, डीएम, मेलाधिकारी, डीसीपी ट्रैफिक को हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 14 फरवरी को होगी।

इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही इलाहाबाद हाईकोर्ट के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने घटना को लेकर अपना पक्ष कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया। कहा कि एक पुलिस सीनियर अधिकारी घटना के समय मौजूद था। लेकिन कार्रवाई केवल दो दरोगाओं के खिलाफ हुई है। मामले में उनकी अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों ने हाईकोर्ट के 2005 के आदेशों का अनुपालन नहीं किया है।

जवाब में सरकार की तरफ से उपस्थित हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने हफ्ते भर का समय देते हुए आगे सुनवाई की तिथि निर्धारित कर दी।

इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट बार अध्यक्ष अनिल तिवारी ने मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस घटना को लेकर कार्यवाही करने का लिखित अनुरोध किया था। जिस पर मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसाली ने लिखित शिकायत करने पर आपराधिक जनहित याचिका कायम कर सुनवाई हेतु पेश करने का आदेश दिया।

बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा, जिसमें घटनाक्रम का विवरण देते हुए कार्रवाई की मांग की। कहा चार फरवरी को कार्य दिवस होने के कारण सभी अधिवक्ता, उनके स्टाफ, मुंशी आदि अपने घरों से निकले लेकिन पुलिस प्रशासन ने हिन्दू हॉस्टल चौराहे पर बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें न्यायालय आने से रोका और यह कहा कि मुख्यमंत्री का कार्यक्रम है इसलिए आप लोगों को नहीं जाने दिया जा सकता। इस पर कुछ अधिवक्ताओं ने पुलिस प्रशासन का 13 जनवरी का आदेश दिखाया, जिसमें वकीलों को न रोकने की बात थी। लेकिन पुलिसकर्मियों ने नहीं निकलने दिया और न ही वैकल्पिक मार्ग दिखाया तथा कहा हमें यही निर्देश मिला है कि किसी को नहीं जाने दिया जाए।

अधिवक्ताओं को रोकने पर काफी अधिक संख्या में अधिवक्ता एकत्र हो गए और प्रशासन का विरोध करने लगे। इस पर पुलिस प्रशासन ने अधिवक्ताओं से अभद्रता, गाली-गलौज और मारपीट की। अधिवक्ताओं के बैंड, कपड़े व फाइलें फाड़ दी। इससे स्थिति गम्भीर हो गई। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसमें कई पुलिसकर्मियों द्वारा अधिवक्ताओं से अभद्रता और मारपीट व क्रूरता दिखाई दे रही है। घटना की गम्भीरता और अधिवक्ताओं के आक्रोश को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने छोटे पद पर तैनात एक पुलिसकर्मी को निलम्बित किया है, जबकि अधिवक्ताओं से मारपीट में कई उच्चाधिकारी भी मौजूद थे। उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई।

शिकायत में पुलिस प्रशासन के उक्त कृत्य को मानवाधिकार का उल्लंघन व न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप बताते हुए प्रार्थना की गई है कि इस पत्र को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए घटना में दोषी सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही और उचित कानूनी कार्यवाही का आदेश दिया जाय। साथ ही सभी दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने, दोषियों को चिह्नित करके उन्हें सेवामुक्त करने, भविष्य में किसी भी अधिवक्ता पर सीधे पुलिस का कोई भी कर्मचारी इस तरह की घटना अंजाम न दे इसलिए पुलिस महानिदेशक को यथोचित निर्देश दिए जाने की मांग भी की गई है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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