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साहित्यकार डा. कांता शर्मा की याद में कवि एवं विचार गोष्ठी का आयोजन

डा. कांता शर्मा की याद में आयोजित कवि गोष्ठी में मौजूद साहित्यकार।

मंडी, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल की प्रख्यात साहित्यकार डा. कांता शर्मा की याद में उनके निवास स्थान लांगणी में कवि एवं विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें मंडी और सुंदरनगर से आए अनेक साहित्यकारों व कवियों ने शिरकत की। इस अवसर पर साहित्यकार कांता शर्मा की रचनाओं के दस्तावेजीकरण के बारे भी उपस्थित साहित्यकारों ने चर्चा की। जिसमें तय किया गया कि आने वाले नये साल में स्व. कांता शर्मा की अप्रकाशित रचनाओं का संकलन प्रकाशित करने के अलावा उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर स्मारिका या पुस्तक का प्रकाशन परिवार के सहयोग से करने का प्रयास किया जाएगा।

इस अवसर पर आयोजित कवि गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार मुरारी शर्मा ने अपनी कविता -कवि हम तब मिलेंगे में कहा- कवि तुम्हारे जाने के बाद उदास है पहाड़, कवि हम मिलेंगे…जब धरती पर आएगा लोकगीतों का वंसत…। निर्मला चंदेल ने अपनी कविता सुनाते हुए कहा- ये माह दिसंबर जब भी आता है, जीवन का एक साल घट जाता है और उम्र का एक साल बढ़ जाता है। वहीं पर कृष्ण चंद्र महादेविया ने यह मुस्कान कविता कुछ यूं सुनाई- जैसे मुस्कुराते हैं अंगारे चूल्हे में,मुस्कुराते रहे दोनों फुले फुले फुल्लके दूध-गुड़ से खते हुए। इस अवसर पर वरिष्ठ कवयित्री हरििप्रया शर्मा ने मंडयाली में कविता सुनाते हुए कहा- जे ता तोते नी हुंदे,ता रटी-रटी नी पौंदे, ता ये आजादी रा रंग नीं हुंदा।

वहीं पर डा. पीसी कौंडल ने आत्मा का सफर कविता सुनाते हुए कहा- एक दिन मैं सब इच्छाओं से बाहर निकला और भूल दिए वो सारे शब्द, जिनके द्वारा मैं सब सोचता रहता था। वरिष्ठ साहित्यकार रूपेश्ववरी शर्मा ने -मैं महानदी बहते जाना नियति है मेरी, विचलित हिमखंडों से जन्मी मैं बूंद-बूंद सहेजती पथ खोजती, पर्वतों की अवरोही। सुरेंद्र मिश्रा ने लंबी कविता पढ़ी। उन्होंने अपनी कविता में कहा-आज आपाधापी के इस जीवन में कितने अंदर से खुश होंगे, जीवन का मजा अधूरा है अगर जीवन में मानसिक शांति नहीं।

सुंदरनगर के कवि उत्तम चंद शर्मा ने कहा-मत सोचो दर्द पराया है हमें क्या महसुस करो कभी दर्द पराया भी। इस अवसर पर कृष्णा ठाकुर ने मंच संचालन के साथ-साथ कुल्लवी गीत सुनाया- हुंदे पांखड़ू आंदा लोभा ने हो मेरी झूरिये।

वहीं पर हिमाचल गौरव बीरबल शर्मा ने कांता शर्मा के साहित्यिक योगदान को याद करते हुए उनकी रचनाओं के दस्तावेजीकरण की बात की। जबकि कांता शर्मा के पति नागेंद्र शर्मा ने कांता शर्मा की एक कविता सुनाते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा- मेरे बाद जब कभी तुम हंसते हुए फूलों को देखोगे, तुम्हें याद हो उठेगा मेरा मुखड़ा, तुम सोचोगे-वह भी तो फूलों की तरह हंसती थी।

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(Udaipur Kiran) / मुरारी शर्मा

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