
रांची, 21 मई (Udaipur Kiran) । डीजी सेट के संचालन को विनियमित करने के संबंध में झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद् की ओर से जारी अधिसूचना पर व्यवसायियों और उनके संघों की ओर से मिली शिकायत के आधार पर पूर्व राज्य सभा सांसद महेश पोद्दार ने पॉल्यूशन बोर्ड के सदस्य सचिव को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने प्रदूषण बोर्ड से कुछ बिंदुओं पर स्पष्टीकरण की मांग की है।
पत्र में उन्होंने कहा है कि इस अधिसूचना के कार्यान्वयन में सभी संबंधितों के लिए उपयुक्त और सुविधाजनक तरीके से संशोधन किए जाने की जरूरत है।
उम्मीद है कि बोर्ड को इस संबंध में कुछ प्रतिनिधित्व भी प्राप्त हुए होंगे। यह जरूरी है कि अधिसूचना में सभी संबंधितों के लिए स्वीकार्य रूप से जरूरी संशोधन किये जायें। इसे कुछ अन्य राज्यों ने भी व्यवहारिक दृष्टिकोण से लागू किया है। अधिसूचना के अध्ययन के बाद कुछ कमियों की ओर ईशारा करते हुए उन्होंने कहा कि अधिसूचना के बिंदु संख्या एक में एक जुलाई 2004 से पहले निर्मित और स्थापित डीजी सेट को स्क्रैप किया जाना है, लेकिन स्क्रैप नीति और प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है। इसी प्रकार बिंदु संख्या दो में 125 केवीए और उससे अधिक क्षमता के डीजी सेट पर लागू है, लेकिन पर्यावरण क्षतिपूर्ति (ईसी) जुर्माना 20 किलोवाट (25 केवीए) से शुरू होता है।
स्पष्टीकरण की आवश्यकता बताते हुए पूर्व सांसद ने कहा कि क्या यह अस्थायी या आपातकालीन उद्देश्यों और दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोग किए जानेवाले डीजी सेट पर लागू है। क्या यह औद्योगिक, वाणिज्यिक और घरेलू उद्देश्यों के लिए समान रूप से लागू है। उन्होंने यह भी कहा कि क्या यह एक जुलाई 2025 से निर्मित या स्थापित डीजी सेट के लिए लागू नहीं होना चाहिए।
पत्र के माध्यम से उन्होंने यह भी सुझाया कि बोर्ड को यह ध्यान रखना चाहिए कि ये डीजी सेट केवल स्टैंडबाय के रूप में चलते हैं, इसलिए उम्र उपयोग के घंटों को नहीं दर्शाती हैं। इसलिए वाहनों की तरह, धुंआ, उत्सर्जन परीक्षण किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अधिसूचना में दिया गया समय कम है। इसलिए सप्लाई सोर्स सीमित है। उन्होंने यह भी कहा कि कई इकाइयां रूग्ण अवस्था में हैं, वे अधिसूचना के अनुसार अनुलग्नक खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकती हैं, कोई ऋण उपलब्ध नहीं होगा। इसलिए इसे लागू करने से पहले सभी स्टॉकहोल्डर्स के साथ बैठक करने की जरूरत है।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
