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मुर्शिदाबाद हिंसा : एनआईए जांच की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका

कोलकाता, 16 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून में संशोधन के विरोध के बाद भड़की हिंसा को लेकर अब कानूनी जंग शुरू हो गई है। हिंसा से प्रभावित परिवारों ने कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने की मांग की है। वहीं, विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी धुलियान क्षेत्र में जाने की अनुमति को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

पिछले शुक्रवार से मुर्शिदाबाद के कई हिस्सों में तनाव का माहौल बना हुआ है। आरोप है कि हिंसा में तीन लोगों की जान गई और कई परिवार बेघर हुए हैं। हिंसा से प्रभावित लोगों का आरोप है कि वक्फ कानून के नाम पर सुनियोजित साजिश रची जा रही है। उन्होंने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टी. एस. शिवगणनम से मांग की है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच एनआईए से कराई जाए ताकि साजिश की परतें खुल सकें।

सूती, धुलियान और शमशेरगंज जैसे इलाकों के कई निवासी बुधवार को इस मुद्दे को लेकर मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश हुए। पीड़ितों ने बताया कि उनके घरों पर बम फेंके गए, लेकिन पुलिस ने शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस अधीक्षक को ईमेल भेजकर भी सूचना दी गई, मगर कोई जवाब नहीं मिला।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी है और संभावना है कि इस पर गुरुवार को सुनवाई हो सकती है। विश्व हिंदू परिषद ने भी मुर्शिदाबाद की स्थिति को लेकर कोर्ट में अलग से याचिका लगाई है।

इसी के साथ, भारतीय जनता पार्टी के नेता और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर प्रभावित इलाके में प्रवेश की अनुमति मांगी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अन्य दलों के नेता धुलियान जा चुके हैं, लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां जाने की अनुमति नहीं दी। इस पर न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष ने याचिका दाखिल करने की अनुमति दे दी है और बुधवार दोपहर इस पर सुनवाई होगी।

इसके अलावा, एक सामाजिक संगठन ने भी धुलियान में विस्थापित परिवारों के लिए राहत कैंप लगाने की अनुमति मांगी थी, जिसे जिला प्रशासन ने नकार दिया। जब यह मामला न्यायमूर्ति घोष के सामने उठाया गया, तो उन्हें न्यायमूर्ति अमृता सिंह की पीठ में भेज दिया गया, जहां इस याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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