
जयपुर, 27 मई (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने पीसीपीएनडीटी के तहत छह माह के अल्ट्रासाउंड ट्रेनिंग कोर्स में प्रवेश के लिए आयोजित पहली काउंसलिंग में स्थानीय चिकित्सक को आरक्षण देने को सही माना है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने यह आदेश अनूप अग्रवाल व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि यह सरकार का नीतिगत निर्णय है और यह संविधान के प्रावधानों के भी विपरीत नहीं है।
याचिका में बताया कि पीसीपीएनडीटी के तहत छह माह का अल्ट्रासाउंड ट्रेनिंग कोर्स कराने के लिए गत 22 अप्रैल को नीट पीजी काउंसलिंग बोर्ड ने विज्ञापन जारी कर आवेदन मांगे गए है। जिसमें प्रावधान किया गया कि पहले राउंड में प्रदेश की मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले चिकित्सकों और सेवारत डॉक्टरों को ही शामिल किया जाएगा। वहीं यदि इसके बाद सीटें रिक्त रही तो दूसरे और बाद में राउंड में प्रदेश के बाहर से एमबीबीएस करने वालों को मौका दिया जाएगा। इसके चुनौती देते हुए कहा गया कि नेशनल मेडिकल कमीशन देश में कहीं से भी एमबीबीएस करने वाले चिकित्सकों को योग्यता के आधार पर एक समान मानता है। ऐसे में इस कोर्स में प्रवेश के लिए याचिकाकर्ता के साथ स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। पीसीपीएनडीटी नियम, 2014 के तहत नीट पीजी के अंकों के आधार पर इस कोर्स में प्रवेश का प्रावधान है। पाठ्यक्रम की सीटों पर सौ फीसदी आरक्षण नहीं दिया जा सकता। इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने बताया कि पहले राउंड में प्रदेश से बाहर के अभ्यर्थी भी पात्र हैं। दूसरे राज्यों के जो अभ्यर्थी प्रदेश में सेवारत हैं या यहां की कॉलेज से एमबीबीएस हैं, उन्हें पात्र माना गया है। वहीं सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने भी संस्थागत आरक्षण में पचास फीसदी व नियोजित कर्मचारियों के लिए पचास फीसदी आरक्षण को सही माना है। वहीं कोर्स में प्रदेश के लिए दूसरे राउंड के लिए अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों को भी पात्र माना गया है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है।
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(Udaipur Kiran)
