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ट्यूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क माफ करने के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज

नैनीताल हाईकोर्ट।

नैनीताल, 4 जनवरी (Udaipur Kiran) । हाई कोर्ट ने देहरादून के प्रतिष्ठित वेल्हम बॉयज स्कूल की ओर से कोविड-19 महामारी के दौरान छात्रों से टयूशन फीस के अलावा अन्य शुल्क माफ करने के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार को इस तरह के आदेश जारी करने का संवैधानिक अ​धिकार है। जब स्कूलों में कक्षाएं भौतिक रूप से संचालित नहीं हो रहीं थीं तो दून के इस विघालय ने 2021 की शुरुआत में जारी आदेश को रद्द करने के लिए याचिका दायर की थी।

वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार यह याचिका कोविड-19 (कोरोनाकाल) में ट्यूशन और अन्य शुक्ल माफी के राज्य सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली थी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को आदेश जारी करने का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट के समक्ष यह बात भी आई कि लॉकडाउन में जब स्कूल बंद थे, तब आवासीय विद्यालय छात्रों से न केवल ट्यूशन फीस, बल्कि छात्रावास शुल्क, मेस और कपड़े धोने का शुल्क, घुड़सवारी के लिए शुल्क, विकास शुल्क, तैराकी शुल्क आदि जैसी विभिन्न अन्य श्रेणियों के तहत शुल्क भी वसूल रहे थे। याचिका में कहा गया था कि सरकार के पास निजी गैर-सहायता प्राप्त आवासीय विद्यालयों की फीस से संबंधित आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने निर्णय पारित कर कहा कि राज्य सरकार संविधान के अनुच्छेद-162 के तहत अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए आदेश जारी करने के अपने अधिकार के भीतर थी।

कोविड-19 महामारी और उसके परिणामस्वरूप लगाए गए लाकडाउन के कारण उत्पन्न हुई आकस्मिक स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार का निजी गैर-सहायता प्राप्त आवासीय विद्यालयों को उन सेवाओं के लिए शुल्क न लेने के लिए आवश्यक निर्देश जारी करना उचित था, जिनका लाभ छात्रों ने उस अवधि के दौरान नहीं उठाया था। क्योंकि स्कूल बंद थे और कक्षाएं ऑनलाइन संचालित की गई थीं।

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(Udaipur Kiran) / लता

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