
भोपाल, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । केन्द्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन बिल के विरोध में गुरुवार को भोपाल में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सेंट्रल लाइब्रेरी ग्राउंड पर धरना-प्रदर्शन किया। बोर्ड के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम समाज जन धरना स्थल पर एकत्रित हुए। शाम करीब चार बजे यह धरना-प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से पूरा हुआ।
दरअसल, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य आरिफ मसूद ने पहले ही वीडियो जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि भोपाल में दो घंटे का प्रदर्शन होगा। इसमें कोई झंडा, बैनर लगाने की मनाही है। न ही कोई रैली निकाली जाएगी। धरना स्थल पर समाजजनों को संबोधित करते हुए जमियत-ए-उलेमा के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद हारून ने कहा कि ये संशोधन देश के एक बड़े समुदाय के हितों को नजरअंदाज करते हुए जबरन थोपे जा रहे हैं, जो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की मूल भावना के खिलाफ है।
हारून ने कहा कि हमें इस संशोधन में सिर्फ बुराइयां ही नजर आ रही हैं। भारत एक जमहूरी (लोकतांत्रिक) मुल्क है, यहां किसी पर कुछ थोपा नहीं जाता। अंग्रेजों के जमाने में भी कानून बनाने से पहले मशविरा किया जाता था, लेकिन आज बिना किसी सलाह के इतने महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ संपत्तियों को लेकर गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं। यह एक बड़ा भ्रम फैलाया जा रहा है कि अगर वक्फ बोर्ड किसी संपत्ति पर दावा करता है, तो वह खुद-ब-खुद उसकी हो जाती है। जबकि हकीकत यह है कि वक्फ बोर्ड ने कभी भी किसी संपत्ति पर अपने आप अधिकार नहीं जताया। दरअसल, यह तो सरकारी विभाग ही हैं जो ऐसी संपत्तियों पर दावा करते हैं।
उन्होंने धार्मिक स्थलों के साथ हो रहे भेदभाव पर भी चिंता जताई। उन्होंने सवाल उठाया कि देश में कोई ऐसा मंदिर नहीं है जहां पूजा न होती हो, लेकिन कई मस्जिदों में आर्कियोलाजिकल सर्वे या अन्य बहानों से नमाज पढ़ने से रोका जाता है। हारून ने केन्द्र सरकार से मांग की कि वक्फ एक्ट के संशोधनों पर पुनर्विचार किया जाए और मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को ठेस न पहुंचाई जाए। हम चाहते हैं कि इतनी बड़ी कम्युनिटी को नाराज़ न किया जाए।
धरना-प्रदर्शन के दौरान ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के मेंबर आरिफ मसूद ने कहा कि बोर्ड का हर फैसला सोच-समझकर होता है। अल्लाह की मदद हमारे साथ है। बोर्ड का फैसला देर से होता है, लेकिन सही होता है। शाहबानो केस में भी जो फैसला लिया गया था, वो सटीक साबित हुआ है। आज एक बार फिर बोर्ड फैसला ले रहा है, और यकीन मानिए, अल्लाह की मदद हमारे साथ है। हमारे बहुत से गैर-मुस्लिम भाइयों को और यहां तक कि हमारे अपने लोगों को भी बरगलाया जा रहा है कि बोर्ड की वक्फ जमीन कब्जेदारों से लेकर गरीबों को दी जाएगी। अगर वाकई बिल में यह लिखा हो कि कब्जेदारों से जमीन लेकर गरीबों को दी जाएगी, तो मैं खुद आपकी पहल की हिमायत करूंगा।
इस दौरान शहर काजी मुश्ताक अली नदवी ने कहा कि मुसलमानों की लड़ाई किसी धर्म या समुदाय से नहीं है। यह पूरी तरह कानूनी अधिकारों और न्याय व्यवस्था से जुड़ा हुआ मामला है। कुछ लोग इसे धर्म के नाम पर गलतफहमी फैलाकर प्रस्तुत कर रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि यह मंच केवल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से संबंधित है और हम उसी की ओर से बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह था, है और रहेगा। जो अल्लाह हजरत मूसा और ईसा का था, वही आज भी हमारा है। हमें अल्लाह ने मुसलमान बनाकर पैदा किया है। लेकिन हमारा किसी से कोई झगड़ा नहीं है। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि वे अपने चरित्र और गुणवत्ता (क्वालिटी) को बनाए रखें। साथ ही यह भी कहा कि इस्लाम इंसानियत का पैगाम देता है और पैगम्बर मोहम्मद (स.अ.) इंसानियत की मुकम्मल मिसाल हैं।
(Udaipur Kiran) तोमर
