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28 सप्ताह का भ्रूण समाप्त करने की अनुमति, हाईकोर्ट ने कहा अनुमति नहीं देना जीवन भर पीडा देने के समान

कोर्ट

जयपुर, 11 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने 13 साल की दुष्कर्म पीडिता को 28 सप्ताह का भ्रूण समाप्त करने की अनुमति दी है। अदालत ने कहा कि पीडिता को गर्भावस्था समाप्त करने की अनुमति नहीं देने से उसकी मानसिक स्थिति को गंभीर चोट पहुंच सकती है। पीडिता को अनुमति नहीं देना उसे आजीवन बच्चे की देखभाल करने की जिम्मेदारी देने के लिए मजबूर करने के समान होगा। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश पीडिता की अपने परिजनों के जरिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।

अदालत ने महिला चिकित्सालय, सांगानेरी गेट के अधीक्षक को कहा है कि वह पीडिता के परिजनों की सहमति से गर्भपात की प्रक्रिया पूरी करे। अदालत ने कहा कि यदि इस दौरान भ्रूण जीवित मिलता है तो उसे समस्त आवश्यक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराई जाए और राज्य सरकार उसके पालन-पोषण का खर्च उठाए। वहीं यदि भ्रूण जीवित नहीं मिलता तो चिकित्सीय साक्ष्य की जरूरत को देखते हुए डीएनए टेस्ट के लिए उसके टिश्यू को सुरक्षित रखा जाए।

याचिका में अधिवक्ता सोनिया शांडिल्य ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता 13 साल की है और दुष्कर्म के चलते वह गर्भवती हो गई है। उसका करीब 28 सप्ताह का गर्भ है। ऐसे में उसे इस अनचाहे गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जाए। इस दौरान अदालती आदेश पर गठित चिकित्सीय टीम ने अपनी पेश कर कहा कि यदि कोर्ट अनुमति दे तो गर्भ को समाप्त या समय पूर्व प्रसव किया जा सकता है। हालांकि गर्भावस्था 24 सप्ताह से अधिक की हो गई है, इसलिए उच्च जोखिम को लेकर सहमति ली जा सकती है। रिपोर्ट में यह भी माना गया कि गर्भावस्था जारी रहने से पीडिता के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड सकता है। सुनवाई के दौरान पीडिता के परिजनों ने इसे लेकर अपनी सहमति दी। जिसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने पीडिता का गर्भपात करने की अनुमति दे दी है।

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(Udaipur Kiran)

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