
बाड़मेर, 29 अप्रैल (Udaipur Kiran) । जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तकरार तेज हुई है। भारत ने पाकिस्तानी नागरिक को भारत छोड़ने के निर्देश दिए थे। शिव से विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। मांग की है कि शरणार्थियों को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए गए है उन पर पुनर्विचार किया जाए। साथ लंबे समय रहे रहे शरणार्थियों और पारिवारिक संबंधों के तहत आए पश्चिमी राजस्थान के सदस्यों के लिए कोई विशेष पुनर्वास सुविधा प्रदान की जाए।
दरअसल, आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान से वीजा पर आए लोगों के लिए किए फैसले के बाद सैकड़ों लोग असमंजस की स्थिति में थे कि उन्हें वापस जाना लांग शॉर्ट टर्म वीजा के लिए आवेदन कर दिया गया है। सबसे ज्यादा एलटीवी आवेदन जैसलमेर में 546, बाड़मेर में 37 और जोधपुर में 362 हुए है। इन तीनों जिलों के 89 पाक नागरिक वाघा बॉर्डर के जरिए पाक के लिए रवाना हो चुके है। इसमें जोधपुर से 76, जैसलमेर से 7 और बाड़मेर 6 पाक नागरिकों को अटारी बॉर्डर के रास्ते पाकिस्तान भेजा गया है।
रविंद्र सिंह भाटी ने पीएम को लिखी चिट्ठी में बताया कि हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुई घटित अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हमले की प्रतिक्रिया में आपकी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जिसका पूरा देश तहेदिल से स्वागत करता है। वर्तमान समय की परिस्थितियों में भारत सरकार की ओर से शरणार्थियों एवं नवविवाहित परिवारों को लेकर जो नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। यह गहन मानवीय चिंता का विषय बन गया है। पड़ोसी मुल्क से आए शरणार्थियों, जिन्हें अभी तक औपचारिक मान्यता प्राप्त नहीं हुई है तथा उन नवविवाहितों को, जो हाल ही में विवाह उपरांत भारत में आए को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। इस निर्णय हजारों परिवारों में गहरा भय और निराशा व्याप्त हो गई है।
भाटी ने चिट्ठी के माध्यम से बताया कि पड़ोसी मुल्क में रहने वाले अनेकों परिवार एक ही गौत्र एवं वंश परंपरा से आपस में जुड़े हुए है एवं इन सभी परिवारों का धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से भारत से जुड़ाव है। मुल्के के बंटवारे के समय अनेक परिवार अलग हो गए, जिसमें कुछ भारत में कुछ पाकिस्तान में रह गए थे। पाकिस्तान मे रहने वाले कई परिवारों को अल्पसंख्यक होने के नाते धार्मिक उत्पीड़न एवं असुरक्षा के चलते मजबूरन हमारे देश में आना पड़ रहा है, ताकि वे अपनी संस्कृति परंपरा और सम्मानजनक भविष्य को सुरक्षित रख सकें। भाटी ने चिट्ठी में लिखा कि मानवीय, सामाजिक तथा संवैधानिक सभी पहुलओं को ध्यान में रखते हुए नए दिशा-निर्देशों पर पुनर्विचार किया जाए। साथ भारत में लंबे अरसे से रह रहे शरण्राार्थियों और पारिवारिक संबंधों के तहत आए पश्चिमी राजस्थान के सदस्यों के लिए कोई विशेष पुनर्वास सुविधा प्रदान की जाए।
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(Udaipur Kiran) / राजीव
