मुंबई,3 मई ( हि.स.) । ठाणे के प्रशांत नगर में पिछले 12 वर्षों से एसआरए परियोजना ठप होने के कारण करीब 350 परिवारों को घर मिलने की सीमा तय नहीं होने से से सड़क पर आने की कगार पर है। विधायक संजय केलकर ने आज आयोजित एसआरए बैठक में चेतावनी देते हुए कहा कि, क्योंकि डेवलपर्स पर्याप्त अवसर और समय दिए जाने के बावजूद निवासियों को घर उपलब्ध कराने में असमर्थ हैं।इसलिए पीड़ित लोगों के पास आंदोलन के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं है।इस बीच, आज एसआरए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पराग सोमन को डेवलपर को इस काम शुरू किए जाने की 15 दिन की समय सीमा तय कर दी है।
बताया जाता है कि ठाणे शहर के नौपाड़ा क्षेत्र के प्रशांत नगर में 12 साल पहले शुरू हुई एसआरए परियोजना को एसटीजी ग्रुप के हरीश दौलतानी ने अपने हाथ में लिया है। हालाँकि, पिछले 12 वर्षों में डेवलपर इमारतों का निर्माण पूरा करने में पूरी तरह विफल रहा है, और निवासियों को उनके सही घरों से वंचित होना पड़ा है।
हैरत अंगेज तथ्य यह है कि डेवलपर निवासियों को नियमित किराया देने में भी विफल रहा है। इस संबंध में यहां की श्री स्वामी समर्थ सहकारी आवास सोसायटी विधायक संजय केलकर के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों से संघर्ष कर रही है। तदनुसार, ठाणे विधायक संजय केलकर ने डेवलपर्स, निवासियों, ठाणे नगर निगम के अधिकारियों और एसआरए अधिकारियों के बीच समन्वय स्थापित किया और बैठकें आयोजित कीं थी।, साथ ही उन्होंने धैर्यपूर्ण रुख अपनाते हुए डेवलपर को पर्याप्त अवसर और समय दिया था । लेकिन इसके बाद भी डेवलपर्स अभी भी परियोजना को पूरा करने में विफल रहे, इसलिए विधायक केलकर द्वारा आज एसआरए विभाग कार्यालय में एक संयुक्त बैठक की गई । इस अवसर पर एसआरए विभाग के सीईओ पराग सोमण वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित थे,।
इस मौके पर एसआरए विभाग के प्रतिनिधि, ठाणे महानगरपालिका के राजकुमार पवार, वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली आईआईएफएल कंपनी के प्रतिनिधि, पूर्व नगरसेवक नारायण पवार, सुरेश जोशी, परिवहन समिति के सदस्य विकास पाटिल, ठाणे जिला गृह निर्माण महासंघ के अध्यक्ष . सीताराम राणे, श्री स्वामी समर्थ सहकारी आवास सोसायटी के पदाधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में विधायक संजय केलकर ने डेवलपर की उदासीनता और लापरवाही की ओर सीईओ पराग सोमण का ध्यान आकर्षित किया। केलकर ने बताया कि पर्याप्त अवसर और समय दिए जाने के बावजूद, डेवलपर मकान उपलब्ध कराने में विफल रहा है।
इस पर सीईओ . सोमन ने डेवलपर को 15 दिन की समय-सीमा दी और चेतावनी दी कि यदि समय-सीमा के भीतर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो नया डेवलपर नियुक्त किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि डेवलपर ने पिछले 12 वर्षों से आवासीय और व्यावसायिक भवनों का निर्माण अधूरा छोड़ दिया है, जिससे निवासियों और अन्य खरीदारों के साथ धोखाधड़ी हुई है। इस डेवलपर के खिलाफ घोड़बंदर में धोखाधड़ी का मामला भी दर्ज किया गया है।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
