
जींद, 18 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । पिछले काफी दिनों से खरकभूरा गांव के जोहड़ पर करीब 20 साल पुराने नीम के पेड़ से सफेद तरल निकलना शुरू हो गया। लोगों को जब इसकी जानकारी मिली तो ग्रामीणों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया। ग्रामीणों पेड़ से निकल रहे सफेद तरल को आस्था से जोड़ रहे है जबकि जांच के लिए पहुंची टीम ने ग्रामीणों से अपील की है कि वो किसी तरह के अंधविश्वास में न पड़े। जांच टीम ने सैंपल भी सफेद तरल के लिए।
नीम का पेड़ कड़वा माना जाता है लेकिन इस सफेद तरल को चखने के बाद ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह से नारियल का पानी होता है वैसा ये सफेद तरल है। कुछ लोग तो इस तरल को बोतलों में भर कर अपने घर भी लेकर जा रहे है। प्रशासन द्वारा गांव में मुनियादी करवा कर ग्रामीणों से अपील की है कि जो सफेद तरल निकल रहा है उसका इस्तेमाल न करें। स्वास्थ्य, वन, पंचायत एवं जन स्वास्थ्य विभाग की टीम नीम के पेड़ से निकल रहे पानी के निरीक्षण के लिए पहुंची। स्वास्थ्य विभाग उचाना से टीम में शामिल एमपीएचडब्ल्यू विक्रम श्योकंद ने बताया कि यह एक रासायनिक प्रक्रिया है। नीम के पेड़ से निकल रहे पानी में चमत्कार जैसी कोई बात नहीं है। ग्रामीण किसी प्रकार के अंधविश्वास में न पड़े।
वन विभाग के दरोगा जगदीप ने बताया कि यह पेड़ों में फंगल इंफेक्शन जैसी एक बीमारी है, बिना किसी जांच के इस पानी का किसी प्रकार का प्रयोग घातक हो सकता है। सरपंच प्रतिनिधि संजीव, कानूनगो रामबिलास ने इस बारे में लोगों को विस्तार से समझाया। वन राजिक अधिकारी अश्वनी कुमार ने बताया कि यह पेड़ की झिल्ली फटने से हो सकता है। जिस कारण पेड़ पानी अवशोषित नहीं कर पाता और ये पानी बाहर निकाल देता है।
सत्यवान ने कहा कि करीब एक महीने से नीम के पेड़ से सफेद तरल निकल रहा है। इससे देखने एवं लेकर जाने के लिए आसपास के गांवों से लोग आ रहे है। टीम आई थी वो सैंपल लेकर गई है। अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है। नीम के पेड़ के आसपास साफ.-सफाई की जा रही है। ये चमत्कार है। ये ऐसा पहला पेड़ है जिससे ऐसा हो रहा है। ग्रामीण पेड़ को धागे भी बांधने लगे है।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
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