
जयपुर, 27 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में बरी होने के बाद अपील के लंबित होने के आधार पर पूर्व कर्मचारी के पेंशन परिलाभ को नहीं रोका जा सकता। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के पन्द्रह साल पहले रोके गए पेंशन परिलाभ तीन माह में नौ फीसदी ब्याज सहित अदा करने को कहा है। जस्टिस अनूप कुमार ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश कृष्ण कुमार शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र शाह ने बताया कि याचिकाकर्ता पूर्व में नगरीय विकास में प्रोजेक्ट ऑफिसर के पद पर तैनात था। साल 2007 में उसके खिलाफ एसीबी ने दो हजार रुपए की रिश्वत मांगने का मामला दर्ज किया था। वहीं एसीबी की ओर से मामले में आरोप पत्र पेश करने के बाद एसीबी कोर्ट, जयपुर ने ट्रायल पूरी कर साल 2010 में याचिकाकर्ता को बरी कर दिया। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने अपील पेश कर दी। दूसरी ओर साल 2010 में ही वह रिटायर हो गया। इस पर राज्य सरकार ने उसे दिए जाने वाले सेवानिवृत्ति परिलाभ रोक लिए। इसे चुनौती देते हुए कहा गया कि याचिकाकर्ता साल 2010 में ही बरी हो गया था और उसके बाद वह रिटायर हुआ। ऐसे में अपील लंबित रहने के आधार पर उसके पेंशन परिलाभ नहीं रोके जा सकते। दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि एसीबी कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील लंबित है। इसलिए उसे परिलाभ नहीं दिए गए हैं। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने माना की अपील लंबित रहने के आधार पर रिटायर कर्मचारी के पेंशन परिलाभ नहीं रोके जा सकते।
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(Udaipur Kiran)
