जयपुर, 5 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने गैर आरएएस सेवा से आईएएस में पदोन्नति के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपए का हर्जाना भी लगाया है। जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश राजस्थान प्रशासनिक सेवा परिषद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। हाईकोर्ट की ओर से याचिका खारिज करने से गैर आरएएस से आईएएस में पदोन्नति पर सात जुलाई 2023 को लगी रोक भी भी हट गई है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह प्रवृत्ति आरएएस श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए सभी पदों को हथियाने के लालच की ओर इशारा करती है। अदालत ने कहा कि गैर आरएएस अधिकारियों के लिए चयन प्रक्रिया हर साल 31 दिसंबर को समाप्त हो जाती है। ऐसे में जो उम्मीदवार मेधावी पाए गए हैं, वे न केवल आईएएस पद पर चयन का मौका खो देंगे, बल्कि आयु सीमा भी पार कर लेंगे। अदालत ने माना की याचिका गैर आरएएस श्रेणी से भर्ती को रोकने के लिए गलत इरादे से दायर की गई है। ऐसे में पूर्व में केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने अपील खारिज करने में कोई गलती नहीं की है। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता पर लगाई गई हर्जाना राशि चार सप्ताह में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराई जाए। यदि तय अवधि में राशि जमा नहीं होती है तो प्राधिकरण सचिव अदालत को इसकी जानकारी दें।
याचिका में कहा गया था कि ऑल इंडिया सर्विस एक्ट व उसके नियम-विनियम के तहत 66.67 प्रतिशत सीधी आईएएस भर्ती से और 33.33 प्रतिशत राज्य के प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। वहीं अपवाद परिस्थिति में ही इस 33.33 प्रतिशत कोटे में से 15 फीसदी पद अन्य सेवा के अफसरों से भरे जा सकते हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार ने मनमाने तरीके से हर साल अन्य सेवा के अफसरों से आईएएस पद पर पदोन्नति देने की परंपरा बना ली है। पूर्व में गैर आरएएस से पदोन्नत हुए आईएएस का पद खाली होने पर राज्य सरकार इस पद को गैर आरएएस को ही पदोन्नत कर भरती है। ऐसे में राज्य सरकार नियमों के खिलाफ जाकर गैर आरएएस की पदोन्नति के लिए कोटा तय नहीं कर सकती। यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि राज्य के प्रशासनिक सेवा के अफसरों के लिए तय किए पदोन्नति के पदों पर भी अतिक्रमण है।
इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता विज्ञान शाह ने कहा कि सरकार नियमानुसार आईएएस के कुछ फीसदी पद गैर आरएएस से भर सकती है। दूसरी सेवाओं से अधिकारी को पदोन्नति देने से पूर्व उनकी विशेषज्ञता की जांच की जाती है। राज्य सरकार आईएएस प्रमोशन नियम, 1954 के तहत इस तरह से प्रमोशन करती आ रही है। इस नियम के तहत राज्य सरकार केंद्र सरकार की राय से अन्य सेवाओं के विशेषज्ञ अधिकारियों की आईएएस पद पर नियुक्ति कर सकती है। इसके अलावा याचिका में दूसरी सेवाओं से आने वाले कार्मिकों की योग्यता को चुनौती नहीं दी गई है। याचिकाकर्ता एसोसिएशन चाहती है कि सिर्फ उनके संगठन के सदस्य ही आईएएस पदों पर पदोन्नत हो। अदालती रोक के चलते गैर आरएएस से आईएएस के पदों पर पदोन्नति नहीं हो सकी है। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर पांच लाख रुपए का हर्जाना लगाया है।
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(Udaipur Kiran) / रोहित