जम्मू, 7 जनवरी (Udaipur Kiran) । पुत्रदा एकादशी का व्रत हर वर्ष पौष माह शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। पुत्रदा एकादशी व्रत के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री (ज्योतिषाचार्य) ने बताया पुत्रदा एकादशी का व्रत महिलाएं अपनी संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना के लिए रखती हैं।
इस वर्ष पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 09 जनवरी गुरुवार दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 10 जनवरी शुक्रवार सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी पौष शुक्ल पक्ष की सूर्योदय व्यापिनी एकादशी 10 जनवरी शुक्रवार को है इसलिए यह व्रत इस वर्ष सन् 2025 ई. 10 जनवरी शुक्रवार को ही होगा। सभी एकादशियों में पुत्रदा एकादशी का विशेष स्थान है,इस व्रत के प्रभाव से योग्य संतान की प्राप्ति होती है,इस दिन सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है। पौष पुत्रदा एकादशी का अपना अलग महत्व है क्योंकि पुत्रदा एकादशी का व्रत वर्ष में दो बार रखा जाता है एक श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन और दूसरा पौष महीने के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन व्रत किया जाता है।
एकादशी व्रत जीवन में संतुलनता को कैसे बनाए रखना है ये सीखाता है । इस व्रत को करने वाला व्यक्ति अपने जीवन में अर्थ और काम से ऊपर उठकर धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष को प्राप्त करता है। यह व्रत पुरुष और महिलाओं दोनों द्वारा किया जा सकता है। इस व्रत को निराहार या फलाहार दोनों ही तरीकों से रखा जा सकता है। व्रत रखने वाले शाम के समय भगवान विष्णु का पूजन करने के बाद फल ग्रहण कर सकते हैं। लेकिन इस व्रत का पारण द्वादशी तिथि को किया जाता है। व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर कुछ दान-दक्षिणा जरूर दें।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल एवं किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा