जम्मू, 11 जनवरी (Udaipur Kiran) । पौष पूर्णिमा सनातन धर्म में विशेष महत्व रखती है,पौष पूर्णिमा के विषय में श्रीकैलख ज्योतिष एवं वैदिक ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। इस साल पौष पूर्णिमा सन् 2025 ई. 13 जनवरी सोमवार को है। पौष पूर्णिमा दिवा एवं रात्रि पूर्णिमा व्रत 13 जनवरी सोमवार को ही है।
इस दिन भगवान श्रीसत्यनारायण जी की कथा पढ़ना अथवा सुनना,पूजा करना अथवा करवाना बेहद शुभ होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन भगवान श्रीगणेश माता पार्वती भगवान शिव,श्रीसत्यनारायण जी और चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व है। रात को चंद्रमा निकलने के बाद धूप-दीप से पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
पौष पूर्णिमा पर पवित्र नदियों,सरोवरों में स्नान करने का विशेष महत्व है किसी कारण वश पवित्र नदियों,सरोवरों में स्नान ना कर सके तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान करें और यथासामर्थ्य किसी जरूरतमंद व्यक्ति एवं ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान दक्षिणा अवश्य करें ऐसा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार,पौष पूर्णिमा सन् 2025 ई. की पहली पूर्णिमा होगी। शास्त्रों के अनुसार इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं,इस दिन सात्विक चीजों का सेवन किया जाता है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा