वाराणसी, 10 जनवरी (Udaipur Kiran) । काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर जेनेटिक डिसऑर्डर के प्रोफेसर परिमल दास के नेतृत्व में आनुवंशिक विकार वाले मरीजों को नि:शुल्क जेनेटिक टेस्टिंग की सुविधा मिलेगी। विभाग में दुर्लभ आनुवंशिक रोगों जैसे प्राइमरी इम्यूनोडेफिशिएंसी डिसऑर्डर, लाइसोसोमल स्टोरेज डिसऑर्डर, म्यूकोपॉलीसेकेराइडोस, पोम्पे डिजीज, फैब्री रोग और न्यूरो डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स पर शोध चल रहा है। इस शोध कार्य में ही सभी मरीज़ों को नि:शुल्क जेनेटिक टेस्टिंग एवं काउंसलिंग की सुविधा दी जा रही है। चिकित्सा विज्ञान संस्थान के प्रोफेसर अशोक कुमार एवं शहर के अन्य डॉक्टरों के सहयोग से अनुसंधान टीम उन्नत जेनेटिक टेस्टिंग को सभी के लिए सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस कार्यक्रम को अद्वितीय बनाता है अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके पूर्णतः निःशुल्क जेनेटिक टेस्टिंग, मरीज के परिवार के सदस्यों के लिए मुफ्त जेनेटिक टेस्टिंग, अग्रणी आनुवंशिक शोधकर्ताओं द्वारा विशेषज्ञ विश्लेषण, जेनेटिक टेस्ट। इस शोध के नोडल केंद्र, हैदराबाद स्थित डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एवं डायग्नोस्टिक्स केंद्र (सीडीएफडी) में किए जाते हैं, जो एक उत्कृष्ट अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान है। परियोजना की प्रमुख सदस्य डॉ. रितु दीक्षित और दीपिका मारू मरीज के परिवारों की सहायता करने और महत्वपूर्ण शोध डेटा एकत्र करने के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। अभी तक देशभर से 1493 जेनेटिक डिसऑर्डर्स के रोगियों को इस मिशन प्रोग्राम में नामांकन कर नि:शुल्क जेनेटिक टेस्टिंग की सहायता दी गयी है। परियोजना के सदस्यों के अनुसार मिशन प्रोग्राम ऑन रेयर जेनेटिक डिसऑर्डर्स अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है। जो न केवल महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है, बल्कि दुर्लभ आनुवंशिक विकारों की गंभीर बीमारी से जूझ रहे परिवारों के लिए आशा की किरण प्रस्तुत करता है।
प्रोफेसर परिमल दास ने बताया कि यह शोध कार्य भारत सरकार के जैव प्रौद्यौगिकी विभाग की अग्रणी पहल है। इसका उद्देश्य जेनेटिक वैरिएंट्स की खोज करना, जेनेटिक काउंसिलिंग करना, दुर्लभ आनुवंशिक रोगों के लिए कार्य करना है। उन्होंने कहा कि दुर्लभ आनुवंशिक विकारों वाले बच्चों के माता-पिता और डॉक्टर जो बच्चों के स्वस्थ और उज्ज्वल भविष्य के लिए इसमें सहयोग करने में रुचि रखते हैं, वो उनसे सम्पर्क कर सकते हैं।
(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी