Haryana

फरीदाबाद सिविल अस्पताल में दवाईयों के लिए भटक रहे मरीज

सिविल अस्पताल बीके में ओपीडी पर लगी लाईनें।

फरीदाबाद, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । फरीदाबाद जिले के सिविल अस्पताल में दवाओं की कमी बनी हुई है। ऐसी स्थिति में दूर-दराज से आने वाले मरीजों को घंटों इंतजार करने के बाद भी दवा नहीं मिलती है। इस कारण मरीजों को बाहर की दुकानों से दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। बताया जा रहा है कि प्रबंधन के सामने कई बार दवाओं की कमी के बारे में बताया जा चुका है, लेकिन प्रबंधन हर बार दवाइयों के पूरा स्टॉक होने कम बात करता है।

बीके अस्पताल में मरीजों के अनुसार मौजूदा समय में अस्पताल में बिफिलैक्स और डोमेपैरिडोन दवाइयां मौजूद होने के बाद भी नहीं मिल रही हैं और लोगों को बाहर से खरीदनी पड़ रही है। इसके अलावा चर्म रोग में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी नहीं मिल रही हैं। डॉक्टर ओपीडी कार्ड की जगह अलग से पर्ची में दवाई लिख कर दे रहे है। बीके अस्पताल में दवाई की किल्लत के कारण अब निजी मेडिकल स्टोर वाले फल फूल रहे है। दवाई न होने के कारण अब डॉक्टर भी मरीजों के लिए निजी औषधि केंद्र के लिए दवा लिख रहे हैं। इससे मरीजों को बाहर से डबल रेट पर दवाई खरीदनी पड़ती है। मरीजों का आरोप है कि जब वह दवाई लेने आते है, तो डॉक्टर ऐसी दवाई लिखते है जो उन्हें अस्पताल के औषधि केंद्र से नहीं मिलती है।

कई बार तो डॉक्टर उन्हें बाहर से निजी मेडिकल स्टाेर से दवा खरीदने की सलाह देते हैं। सिविल अस्पताल बीके के फार्मासिस्ट रमेश से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि फार्मेसी में बिफिलैक्स और डोमेपैरिडोन दोनों दवाई उपलब्ध है। उन्होंने डॉक्टर की दूसरी पर्ची पहचानने से मना कर दिया। अस्पताल में दवाई लेने आए प्रतीक सेक्टर 22 निवासी ने बताया कि उन्हें एलर्जी है। जिसके कारण मैं डॉक्टर से दवाई लिखवाकर आया था, लेकिन डॉक्टर ने ओपीडी कार्ड पर सिर्फ एक दवाई लिखी। उसके अलावा सारी दवाइयां एक सफेद पर्ची पर लिखी है, जो बाहर से लेनी है। यह दवाइयां बाहर औषधि केंद्र पर डबल पैसों में मिलेगी। डॉक्टर ने बताया कि यह दवाइयां यहां नहीं मिलेगी। इस कारण से बाहर की दवा लिखी है।

वहीं बडख़ल निवासी अर्शी ने कहा अस्पताल में दूर से आते है, लेकिन कभी भी पूरी दवाई नहीं मिलती है, मुझे गले में गांठ है। जिसके लिए डॉक्टर ने दवाई लिखी थी। लेकिन अस्पताल के औषधि केंद्र पर केवल मुझे बुखार की पेरासिटामॉल दे दी, जबकि मुझे डॉक्टर ने गले में गांठ की दवाई लिखी थी। अब मुझे सारी दवाइयां बाहर मेडिकल स्टोर से लेनी होगी।सिविल अस्पताल के वीरेंद्र कुमार चीफ फार्मेसी ऑफिसर ने बताया कि अस्पताल में राेजाना हजारों मरीज अपना इलाज करवाने के लिए आते है, सभी को दवाईयां दी जाती है। अगर कोई दवा खत्म है, तो मंगवा कर दी जाती है।

(Udaipur Kiran) / -मनोज तोमर

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