
रुद्रप्रयाग, 22 मार्च (Udaipur Kiran) । ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर दशकों पुराने भूस्खलन जोन से निजात पाने के लिए प्रस्तावित सिरोहबगड़-नौगांव-खांकरा बाईपास पर पपडासू पुल के फिर से कार्य शुरू होने की उम्मीद जग गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड से पुल की भार क्षमता परीक्षण शुरू कर दिया है। बता दें कि दो वर्ष से पुल का कार्य ठप है। साथ ही बाईपास का निर्माण न हाेने से वाहन भूस्खलन जोन से हिचकोले खाकर गुजर रहे हैं।
भारत सरकार की ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत वर्ष 2015-16 में ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिरोहबगड़ भूस्खलन जोन से निजात पाने के लिए 2.75 किमी बाईपास की स्वीकृति दी गई थी। यह बाईपास अलकनंदा नदी के दूसरी तरफ से बनाया जा रहा है, जिसमें तीन पुल भी प्रस्तावित हैं। वर्ष 2018 में राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण खंड की कार्यदायी संस्था ने बाईपास और पुल के निर्माण का कार्य शुरू किया गया था, जिसे चार वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, पर 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्य पूरा तो दूर 30 फीसदी भी नहीं हो पाया है। स्थिति यह है कि अलकनंदा नदी पर पपडासू में अलकनंदा नदी पर 180 मीटर स्पान का पुल का कार्य दो वर्ष से ठप है, जिस कारण पुल के डेक पर बिछी सरिया जंक से खराब हो रही है।
आईआईटी दिल्ली से भी पुल का सर्वेक्षण कराया गया था। अब, एनएच ने पुल का कार्य पुन: शुरू कर दिया है। बीते दो दिन से पुल पर लोड टेस्टिंग (भार क्षमता परीक्षण) किया जा रहा है। इस कार्य में पुल के दोनों तरफ एक-एक हजार बैग में रेत-बजरी व सिमेंट भरकर भार क्षमता का आकलन किया जा रहा है। अधिकारियों की माने तो जल्द ही बाईपास का कार्य भी शुरू हो जाएगा। साथ ही भुमरागढ़ और नौगांव पुल के शेष कार्य को समयबद्ध पूरा करने के लिए प्रयास किए जाएंगे।
इधर, एनएच के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडे ने बताया कि पपडासू पुल की भार क्षमता का परीक्षण किया जा रहा है। जल्द ही पुल का शेष कार्य पूरा करने का प्रयास किया जाएगा।
(Udaipur Kiran) / दीप्ति
