झांसी, 25 सितंबर (Udaipur Kiran) । ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से हमें यह सीख मिलती है कि जिंदगी लंबी नहीं बड़ी होनी चाहिए’, उक्त उद्गार बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पाण्डेय ने व्यक्त किया। वह पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय ने भारत को आत्मनिर्भता और स्वरोजगार का मंत्र दिया। उन्होंने अपने सीमित जीवनकाल में ऐसे काम किए जो आने वाली कई सदियों तक लोगों के लिए उदाहरण रहेंगे। उनके विचारों पर अनेकों शोध हो चुके हैं। आने वाले समय में भी लोग उन पर शोध करते रहेंगे। हम अपने विश्वविद्यालय के शोधार्थियों को भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन और उनके कृत्यों पर शोध करने के लिए प्रेरित करते हैं।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षा मंत्री रवींद्र शुक्ल ने कहा कि राष्ट्रवाद के विकास में भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय आजीवन हिंदी के समर्थक रहे। उन्होंने कानपुर में जीरो क्लब की शुरुआत की थी। इस क्लब में फेल हुए बच्चों को शिक्षित कर उन्हें जीवन के प्रति नया उद्देश्य दिया जाता था।
छपरा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय संस्कृति के अग्रदूत थे। राष्ट्र धर्म का परचम उन्होंने बुलंद किया था। वह हमेशा भारतीय शिक्षा और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पित रहे।
स्वदेशी जागरण मंच की अनुपम श्रीवास्तव ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें स्वावलंबी बनना चाहिए। अपने शौक और जुनून को व्यापार में बदल दीजिए। शिक्षा ग्रहण करते समय ही कुछ धन अर्जन का भी प्रयास कीजिए।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक अखंड प्रताप ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दिए हुए एकात्म मानववाद और अंत्योदय आज भी लोगों को प्रेरणा देती है। अगर युवा इन सिद्धांतों का पालन करेंगे तो भारत जल्द ही विकसित हो जाएगा। अतिथियों का स्वागत प्रोफेसर मुन्ना तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. श्रीहरि त्रिपाठी और आभार डॉ. विपिन प्रसाद ने ज्ञापित किया। इस अवसर पर डॉ.प्रेमलता श्रीवास्तव,डॉ.सुनीता वर्मा, डॉ. सुधा दीक्षित, डॉ. शैलेंद्र तिवारी, आकांक्षा, रिचा समेत बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
(Udaipur Kiran) / महेश पटैरिया