जगदलपुर, 25 जनवरी (Udaipur Kiran) । छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के गढ़बेंगाल के निवासी आदिवासी हस्तशिल्पी गोंड मुरिया जनजाति से संबंधित 65 वर्षीय पंडी राम मंडावी को पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा। शासन द्वारा आज दी गई जानकारी के अनुसार मंडावी कई पुरस्कारों से सम्मानित किए जा चुके हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नारायणपुर जिले के जनजातीय कलाकार पंडी राम मंडावी का नाम पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित होने पर बधाई और शुभकामनाएं दी है। यह प्रतिष्ठित सम्मान उन्हें पारंपरिक वाद्ययंत्र निर्माण और लकड़ी की शिल्पकला के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाएगा।
पंडी राम मंडावी पिछले पांच दशकों से बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर को न केवल संरक्षित कर रहे हैं, बल्कि उसे नई पहचान भी दिला रहे हैं। उनकी विशेष पहचान बांस की बस्तर बांसुरी, जिसे ‘सुलुर’ कहा जाता है, के निर्माण में है। इसके अलावा, उन्होंने लकड़ी के पैनलों पर उभरे हुए चित्र, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से अपनी कला को वैश्विक स्तर पर पहुंचाया है। पंडीराम के पुत्र शिक्षक बल्देव मंडावी का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वह जिस परिवार से हैं उनके स्वजनों ने बस्तर के नाम को अपने हुनर से आगे बढ़ाने का काम किया है और कुछ आज भी इस क्षेत्र में सक्रिय है।
पंडी राम मंडावी ने मात्र 12 वर्ष की आयु में अपने पूर्वजों से यह कला सीखी और अपने समर्पण व कौशल के दम पर छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। एक सांस्कृतिक दूत के रूप में उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन 8 से अधिक देशों में किया है। साथ ही, अपने कार्यशाला के जरिए एक हजार से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर इस परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य किया है।आठ साल उन्हें केरल सरकार की ललित कला अकादमी ने पंडी राम को प्रतिष्ठित जे स्वामीनाथन पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। उनके पिता स्वर्गीय मंदेर मंडावी भी बड़े कलाकार थे।
पंडीराम ने पिता से शिल्पकारी की बारीकियां सीखी और आज सिद्धहस्त कलाकार हैं। जापान, इटली, फ्रांस, जर्मनी आदि आधा दर्जन देशों में भारत महोत्सव में शामिल होकर काष्ठ शिल्प का प्रदर्शन कर चुके हैं। देश-विदेश से शिल्पकला के जानकार और शोधार्थी नारायणपुर आते हैं तो पंडीराम से मिलने जरूर जाते हैं।छत्तीसगढ़ शासन ने भी हस्तशिल्प के क्षेत्र में शिल्प गुरु की उपाधि से सम्मानित किया है। उनके कई शिष्य भी काष्ठ शिल्प के क्षेत्र में अच्छा काम करते हुए स्वरोजगार का माध्यम बना चुके हैं।उनकी बनाई काष्ठ की कलाकृतियां देश के महानगरों में बड़े होटलों, एम्पोरियम में शोभा बढ़ाती हैं।देश के बाहर इंग्लैंड के प्रतिष्ठित कैंब्रिज विश्वविद्यालय के संग्रहालय (म्यूजियम) में पंडीराम की बनाई काष्ठ कलाकृति शोभायमान है। 2016 में उन्होंने इस संग्राहालय के लिए मेमोरियल पिलर (मृतक स्तंभ) तैयार किया था।
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(Udaipur Kiran) / केशव केदारनाथ शर्मा