जींद , 3 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने जिला के सभी पंच, सरपंच, नंबरदार, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य तथा प्रत्येक सकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों से अनुरोध किया कि सभी जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेवारी का निर्वहन कर स्वयं और आसपास के किसानों को फसल अवशेष जलाने पर रोक लगाएं ताकि पर्यावरण व मानव जीवन पर पडऩे वाले दुष्प्रभाव और भूमि की उपजाऊ शक्ति को नष्ट होने से बचाया जा सके। इस जिम्मेवारी का निर्वहन कर हम सभी ने अपनी फसल-अपनी नस्ल को बचाने में अग्रिम पंक्ति में खडे होकर योगदान करना चाहिए।
उपायुक्त मोहम्मद इमरान रजा ने गुरुवार को किसानों से भी आह्वान किया कि फसल अवशेष जलाने से भूमि की उपजाऊ शक्ति, भूमि की ऊपरी सतह पर उपस्थित लाभदायक जीवाणु नष्ट होते हैं व हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है। पराली जलाने से भूमि के पोषक तत्वों में नाइट्रोजन, सल्फर, प्रोटास व ऑर्गेनिक कार्बन की भी हानि होती है। जिससे पर्यावरण दूषित होता है तथा मानव जीवन विशेषकर बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है। इन सभी घटनाओं से जिला का क्षेत्र ही नहीं अपितु आसपास का 200-250 किलोमीटर का पर्यावरण भी श्वास लेने योग्य नही रहता तथा आसपास की हवा की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है जो कि हानिकारक है।
उन्होंने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष न जलाने के लिए प्रोत्साहन राशि देने की भी घोषणा की है। जिसमें जिला के 13 रेड जोन वाले गांवों में फसल अवशेष आगजनी की घटनाओं को शून्य करने पर संबंधित ग्राम पंचायत को एक लाख रूपये तथा येलो जोन वाले 58 गांवों में ग्राम पंचायत को 50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए हम सभी ने सकारात्मक कदम बढाने की सख्त आवश्यकता है। उपायुक्त ने गांव के सरपंच, नंबरदार को इस बारे पाबंद करते हुए कहा कि किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाली हानि को लेकर जागरूक करने के लिए जिला स्तरीय, उपमंडल स्तरीय, खंड स्तरीय व ग्राम स्तरीय समितियों का गठन किया गया है।
डीसी ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधियों के सहयोग से ही पिछले वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 35 प्रतिशत की कमी आई है। जागरूकता के लिए प्रत्येक गांव में विभाग द्वारा ग्राम स्तरीय कैंपों का आयोजन किया जा रहा है। किसान जागरूकता शिविरों में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों द्वारा किसानों को पराली न जला कर आधुनिक कृषि यंत्र जैसे एसएमएस, सुपर सीडर, स्ट्रा बेलर, एमबी प्लाऊ व अन्य यंत्रों को प्रयोग करके पराली को मिट्टी में मिलाने बारे प्रेरित किया जा रहा है।
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा