
पलवल, 19 मार्च (Udaipur Kiran) । पलवल के शेष साई गांव में स्थित भगवान लक्ष्मीनारायण मंदिर से बुधवार को जिला प्रशासन ने अवैध कब्जा हटा दिया है। बासवां गांव के कुछ लोगों ने ट्रस्ट बनाकर मंदिर पर जबरन कब्जा कर लिया था। उन्होंने दान पात्र समेत कई स्थानों पर अपने ताले लगा दिए थे। मंदिर के सेवारत गोस्वामी और उनके समर्थकों की शिकायत पर प्रशासन ने कार्रवाई की। एसडीएम बेलिना लोहान, डीएसपी कुलदीप सिंह और हसनपुर थाना प्रभारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे।
प्रशासनिक टीम मंदिर पहुंची, तब तक कब्जा करने वाले लोग ताले लगाकर फरार हो चुके थे। हसनपुर पुलिस ने गोस्वामी की शिकायत पर आठ नामजद समेत 50 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। पुलिस ने मंदिर से अवैध बोर्ड भी हटवा दिए हैं। गौरतलब है कि शेष साई गांव के मंदिर में वर्षों से गोस्वामी समाज पूजा-पाठ करता आ रहा है। पिछले सप्ताह बासवां गांव के कुछ लोगों ने नया ट्रस्ट बनाकर मंदिर पर कब्जा कर लिया था।वहां अपना कार्यालय भी स्थापित कर लिया था। डीसी और एसपी के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मंदिर से अवैध कब्जा हटवा दिया है।
हसनपुर थाना प्रभारी मलखान सिंह ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि शेष साई के रामेश्वर ने दी शिकायत में कहा कि मार्च माह से मंदिर की सेवा व पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी उन्हें मिली है, लेकिन 16 मार्च को बासवां गांव की ओर से लोगों की भीड़ मंदिर पर आ गई। भीड़ में मुख्य रूप से हरदीप सिंह, अजीत सिंह, हरेंद्र, शब्बीर, रामकुमार, विक्रम, रामचंद्र, विजन व करीब 50 लोग मंदिर के अंदर घुस गए। पुजारी और भक्तों से कहा कि मंदिर का संचालन अब वे करेंगे, सभी बाहर जाओ। इन लोगों ने आवेश में आकर भय का माहौल पैदा किया और भंडार गृह व दानपात्र के ताले तोडकर अपने नए ताले लगा दिए, जहां पर भगत जन व यात्री ठहरते है, उस कमरे पर ट्रस्ट कार्यालय लिखकर कब्जा करके ताला लगा दिया तथा मंदिर परिसर में जगह-जगह पर अवैध रूप से सेवा समिति ट्रस्ट लिख दिया। उक्त लोगों ने उनके भक्तिभाव की आस्था को ठेस पहुंचाई है तथा डरा धमका कर गलत काम कर मंदिर पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
हमें धमकी दी कि अगर प्रशासन से शिकायत की या दोबारा से पूजा तुम्हारा द्वारा शुरू की गई तो जान से मार देंगे। जिसके संबंध में पुलिस उक्त लोगों पर विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है।
(Udaipur Kiran) / गुरुदत्त गर्ग
