पलवल, 8 नवंबर (Udaipur Kiran) । फास्ट ट्रैक कोर्ट पलवल में आज नाै साल की मासूम लड़की के साथ दरिंदगी करने वाले शख्स को जीवन की अंतिम सांस यानी प्राकृतिक मौत तक जेल में रखने की सजा सुनाई है। घटना 14 जनवरी 2024 को पलवल कैंप थाना क्षेत्र इस्लामाबाद में हुई थी। जिसका 15 जनवरी को मुकदमा दर्ज किया गया था। तब से लेकर आज तक 9 महीने 20 दिन के अंदर शुक्रवार काे यह फैसला पलवल कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला है।
पलवल में 14 वर्षीय बच्ची का अपहरण कर बलात्कार करने के आरोपी को अदालत ने दोषी करार दिया। 44 वर्षीय दोषी को अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। साथ ही उस पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही दोषी को पीड़ित बच्ची के परिवार को मुआवजा के तौर पर साढ़े 14 लाख रुपए देने होंगे। न्यायाधीश प्रशांत राणा की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सजा सुनाते हुए दिए आदेश में कहा है, कि दोषी किसी भी तरह की माफी के काबिल नहीं है। इस प्रकार के व्यक्ति मानवीय समाज में रहने के लायक नहीं है।
कैंप थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित एक कॉलोनी में रहने वाले वाले एक व्यक्ति ने 14 जनवरी को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उसकी 14 वर्षीय बच्ची घर के बाहर गली में खेल रही थी। उसी दौरान दोषी 44 वर्षीय कृष्ण आया और खाने का सामान दिलाने के बहाने बच्ची को गोद में लेकर खाली पड़े एक निजी स्कूल के अंदर ले गया।
स्कूल के कमरे के अंदर ले जाकर आरोपी ने बच्ची के साथ गलत काम किया। घर जाकर बच्ची ने अपने साथ हुई पूरी घटना अपनी मां को बताई, जिसके बाद परिजनों ने पुलिस को शिकायत दी। 20 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज हुए। 15 जनवरी को कैंप थाना पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच कैंप थाना की जांच अधिकारी एसआई सुरेखा को सौंप दी। सुरेखा ने आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। केस में सुनवाई चली, 20 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए व जांच अधिकारी सुरेखा ने इस केस से मेडिकल रिपोर्ट, फोरेंसिक जांच व अन्य संबंधित साक्ष्यों को जुटा कर अदालत के सामने पेश किया। जिनके आधार पर न्यायाधीश प्रशांत राणा ने फैसला सुनाते हुए दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
बचाव पक्ष के सीनियर वकील राजेंद्र प्रसाद बैंसला और उनके साथ ही वकीलों की तमाम दलीलों को दरकिनार करते हुए आज एडीजे प्रशांत राणा की पॉक्सो स्पेशल फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को तमाम उम्र जेल की सलाखों के अंदर रखने की सजा सुना दी। साथ ही दस हजार रुपये जुर्माना भी किया। साथ ही उस पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। साथ ही दोषी को पीड़ित बच्ची के परिवार को मुआवजा के तौर पर साढ़े 14 लाख रुपए देने होंगे। पीड़ित पक्ष अधिवक्ता कमलेश,अधिवक्ता फुलवा डागर ने इस फैसले को बहुत अच्छा फैसला बताते हुए कहा है कि इस फैसले से पूरे समाज में एक मैसेज जाएगा की महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने का क्या अंजाम होता है।
—————
(Udaipur Kiran) / गुरुदत्त गर्ग