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शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों का खुलासा, ईडी के आला अधिकारी ने मांगी 25 करोड़ की रिश्वत

Education institutes owner : allegation : ed officer

शिमला, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजधानी शिमला में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक रहे विशाल दीप सिंह पर 181 करोड़ रुपये के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े मामले में रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं। शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने उन पर 25 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। इन संस्थानों के मालिकों ने सोमवार को शिमला में पत्रकार वार्ता में कहा कि विशाल दीप सिंह ने उन्हें ईडी कार्यालय में बुलाकर लगातार प्रताड़ित किया और गिरफ्तारी का डर दिखाकर रिश्वत की मांग की।

दरअसल छात्रवृत्ति स्कैम से जुड़ा यह मामला 2013 से 2017 के बीच हिमाचल प्रदेश में एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना के दुरुपयोग से जुड़ा है। इस योजना को राज्य सरकार के माध्यम से लागू किया गया था। लेकिन 181 करोड़ रुपये का यह फंड निजी शैक्षणिक संस्थानों द्वारा हड़प लिया गया। वर्ष 2019 में राज्य सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की।

शैक्षणिक संस्थानों के मालिक रजनीश बंसल ने बताया कि शुरू में जांच सामान्य तरीके से चल रही थी। लेकिन जैसे ही ईडी अधिकारी विशाल दीप सिंह नवंबर में ईडी के सहायक निदेशक बने तो उन्होंने संस्थानों के मालिकों को कार्यालय बुलाकर रिश्वत मांगनी शुरू कर दी। प्रत्येक संस्थान से एक-एक करोड़ रुपये की मांग की गई। जब पैसे देने से इनकार किया गया तो उन्होंने गिरफ्तारी की धमकी दी।

मालिकों का कहना है कि रिश्वत की यह मांग इतनी बढ़ गई कि आत्महत्या तक की नौबत आ गई। परेशान होकर उन्होंने सीबीआई को शिकायत की। सीबीआई ने शिकायत पर कार्रवाई करते हुए रिश्वत की रकम का एक हिस्सा जाल बिछाकर बरामद किया। जांच के दौरान जीरकपुर और पंचकूला में रिश्वत की रकम से जुड़े स्थानों पर छापेमारी की गई। इसमें 55 लाख रुपये बरामद किए गए।

शैक्षणिक संस्थान के एक चेयरमैन ने बताया कि 19 दिसंबर को उन्हें ईडी कार्यालय बुलाया गया था। यहां दो अन्य अधिकारियों नीरज गर्ग और सुनील कुमार ने पहले रिश्वत की रकम तय की और बाद में विशाल दीप सिंह ने अलग से और रकम की मांग की। इसके बाद संस्थान मालिकों को पंचकूला और जीरकपुर में बुलाकर रिश्वत देने को कहा गया। सीबीआई पहले से सतर्क थी और उसने इन जगहों पर जाल बिछाया था।

इस मामले में ईडी अधिकारी विशाल दीप सिंह का भाई विकास दीप सिंह भी शामिल पाया गया। सीबीआई ने रिश्वत के तौर पर दी गई रकम उनके ठिकानों से बरामद की। हालांकि विशाल दीप सिंह अभी भी फरार हैं। विभाग ने उन्हें निलंबित कर दिया है, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।

शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने बताया कि ईडी कार्यालय में उन्हें दिनभर बिठाया जाता था और बार-बार रिश्वत की मांग की जाती थी। जब पैसे देने से इनकार किया जाता तो जेल भेजने की धमकी दी जाती थी। उन्होंने कहा कि रिश्वत की मांग से तंग आकर उन्होंने सीबीआई को सूचित किया।

शैक्षणिक संस्थानों के मालिकों ने मांग की है कि विशाल दीप सिंह और अन्य आरोपी अधिकारियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उनके उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका कहना है कि ऐसे अधिकारियों की वजह से जांच प्रभावित हो रही है और शिक्षा जगत की साख को गहरा आघात लगा है।

बता दें कि सीबीआई की शिमला स्थित ईडी दफ्तर में रेड के बाद ईडी ने मुख्य आरोपी विशाल दीप सिंह को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन वह अब तक फरार है। सीबीआई की टीम उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है। छात्रवृत्ति घोटाले में 276 शैक्षणिक संस्थानों में से 29 पर खास तौर से जांच चल रही है। इनमें से अधिकांश संस्थान हिमाचल प्रदेश के हैं। सीबीआई ने पहले भी कई संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की है। इस घोटाले में शैक्षणिक संस्थानों के कई लोगों को गिरफ्तार किया था।

ईडी ने इस घोटाले के तहत पंजाब के एक संस्थान की 4.50 करोड़ रुपये की संपत्ति भी जब्त की थी। इस संस्थान पर 800 से अधिक छात्रों की छात्रवृत्ति हड़पने का आरोप है। यह संस्थान हिमाचल के ऊना जिले में भी संचालित है।

छात्रवृत्ति घोटाले में 27 शैक्षणिक संस्थान शामिल पाए गए थे। इनमें से 19 संस्थान हिमाचल प्रदेश के हैं और 8 अन्य राज्यों के हैं। इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट भी जांच और निगरानी कर रहा है। अदालत को समय-समय पर जांच रिपोर्ट सौंपी गई है।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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