कटनी, 08 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । जिले में गर्म तापमान एवं उच्च आर्द्रता की वजह से भूरा माहू कीट के लिए धान की फसल में प्रकोप के लिए अनुकूल वातावरण है। वर्तमान में खरीफ 2024 अंतर्गत बोई गई धान फसल जो कि बाली की अवस्था में है, धान फसल में बदलते मौसम के कारण जिले में भूरा माहू का प्रकोप देखा जा रहा है।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास मनीष मिश्रा ने इस संबंध में किसानों को सलाह दी है कि वह अपनी फसल की सतत देखभाल करते रहे एवं पत्तियों का व्यापक रूप से पीला पड़ना, भूरा होना, सूखना जो किनारों से शुरू होता है, इसका प्रकोप खेत में चकत्ते के रूप में दिखाई देना, जमीन के पास तनों में भूरे रंग का माहू दिखाई देने पर अपनी धान फसल में माहू नियंत्रण हेतु रासायनिक दवाओं का प्रयोग करें, दवा को पौधे के नीचे तक पहुंचाना आवश्यक है। धान की लंबाई अधिक होने पर पानी का भराव अवश्य करें जिससे माहू कुछ ऊपर की ओर आईगें। एक एकड़ में 150 से 200 लीटर पानी या 10 से 12 स्प्रेयर पंप 15 लीटर के मान से छिड़काव करें।
उप संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास ने बताया कि भूरा माहू से नियंत्रण के लिए कृषक को पाइमेट्रोजिन 50 प्रतिशत डब्लू जी 300 ग्राम प्रति हेक्टेयर या थायोमेथोक्जाम 25 प्रतिशत डब्लू जी 100-120 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इमिडा क्लोरो प्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 150-200 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या फिप्रोनिल 3 प्रतिशत$ब्यूप्रोफेजिन 22 प्रतिशत 500 मि.ली. प्रति हेक्टेयर या बुप्रोफेजिन 15 प्रतिशत एसीफेट 35 प्रतिशत 50 ग्राम प्रति हेक्टेयर के मान से किसी भी एक रासायनिक दवा का प्रयोग कर धान फसल में भूरा माहू कीट से निदान पाया जा सकता है।
(Udaipur Kiran) / राकेश चतुर्वेदी