
नई दिल्ली, 6 जून (Udaipur Kiran) । केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिन्दवी स्वराज’ की स्थापना कर एक सशक्त, समर्थ और आत्मनिर्भर भारत का जो सपना देखा था, आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश उसी दिशा में दृढ़तापूर्वक अग्रसर है।
एक पुस्तक लोकार्पण कार्यक्रम में ‘आपरेशन सिंदूर’ पर सिंधिया ने कहा, “भारत ने दिखा दिया है कि उधर से गोली चलेगी तो इधर से गोला चलेगा।” उन्होंने कहा कि आज लोगों को सेना और सरकार पर भरोसा है। यह भरोसा बताता है कि ‘यही समय है, सही समय है’ जब हर देशवासी विकसित भारत के सपने को अपने मन में जगाए और उस अनुरूप कार्य भी करे।
केन्द्रीय संचार और पूर्वोत्तर विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज ‘हिन्दवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी’ नामक पुस्तक का लोकार्पण किया। पुस्तक सुरूचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है और इसका सम्पादन प्रो. ओम प्रकाश सिंह और देवेन्द्र भारद्वाज ने किया है। लोकार्पण समारोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय ‘केशव कुंज’ में स्थित विचार विनिमय केन्द्र के सभागार में हुआ।
पुस्तक में वर्णित इतिहास को बहुत उपयोगी बताते हुए सिंधिया ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके वंशज भी मराठा संघर्ष में शामिल हुए थे और देश के लिए अपना बलिदान दिया था। छत्रपति शिवाजी के गौरवशाली इतिहास के कुछ प्रसंगों को साझा करते हुए सिंधिया ने कहा कि उन्होंने गौरिल्ला युद्ध से लेकर विश्व की सबसे पहली नौसेना का गठन किया। शिवाजी महाराज का उद्देश्य केवल अपना साम्राज्य स्थापित करना नहीं था, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर, एकजुट और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाना था। ‘हिन्दवी स्वराज’ की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गई थी। उद्देश्य था कि निर्धन से निर्धन व्यक्ति की भी देश के सम्राट तक पहुंच बन सके और उसे भी न्याय मिल सके।
कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उपस्थित जनों से ‘जय शिवाजी, जय भवानी’ का उद्घोष दोहराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इन नारों से बलिदान की प्रेरणा मिलती है और दुश्मनों के दिलों में दहशत पैदा होती है।
समारोह को संबोधित करते हुए संघ की अखिल भारतीय प्रचार टोली के सदस्य मुकुल कानिटकर ने कहा कि स्वाधीनता और स्वतंत्रता दो अलग शब्द हैं। किसी की अधीनता से मुक्ति स्वाधीनता है और अपने आदर्शों, परम्पराओं और जीवन मूल्यों के आधार पर अपना तंत्र विकसित करना स्वतंत्रता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने आज से साढ़े तीन सौ साल पहले ‘हिन्दीवी स्वराज’ की स्थापना कर भारत के स्वतंत्र होने की आधारशिला रख दी थी। हम अपने ऐसे पूर्वजों का स्मरण कर हमेशा याद रखें कि भारत का इतिहास सदैव संघर्ष का इतिहास रहा है।
उन्होंने कहा, “भले हम पर आक्रमण होते रहे हों, हम कभी आंशिक रूप से तो कभी अधिकांशतः पराधीन हुए हों, पर हमारे देश के वीर सपूतों ने किसी भी आक्रमणकारी को चैन से एक दिन भी बैठने नहीं दिया। हमने स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्ष किया, बलिदान दिए और अंततः स्वाधीन हो गए और अब अपने स्व के साथ लोगों को खड़ा कर रहे हैं।”
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(Udaipur Kiran) / जितेन्द्र तिवारी
