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पूर्वी चंपारण, 30 दिसंबर (Udaipur Kiran) ।जिले के पहाड़पुर प्रखंड स्थित परसौनी कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में तिलहन पर समूह अग्रिम पंक्ति प्रत्यक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रशिक्षण में 33 लाभार्थी किसानों ने भाग लिया। केन्द्र के कृषि अभियांत्रिकी विशेषज्ञ डॉ. अंशू गंगवार ने प्रशिक्षण के लिए आये किसानों को सिंचाई के महत्व पर विस्तृत जानकारी देते बताया कि तोरी की खेती में दो से तीन बार सिंचाई करना आवश्यक है, और यह सिंचाई फसल की क्रांतिक अवस्थाओं जैसे फूल निकलने और दाने बनने के समय पर करनी चाहिए। इन अवस्थाओं पर सिंचाई की कमी से फसल उत्पादन में गंभीर गिरावट आ सकती है। इसके अलावा, खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करना भी जरूरी है, जिससे पानी जमा होने के कारण होने वाले नुकसान से बचा जा सके।
डॉ. गंगवार ने पोषक तत्व प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि तोरी की फसल में सल्फर और बोरोन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग अत्यधिक लाभदायक होता है। इन पोषक तत्वों का समुचित उपयोग न केवल फसल की गुणवत्ता में सुधार करता है, बल्कि तेल की मात्रा बढ़ाने और दानों को बोल्ड और चमकदार बनाने में भी सहायक होता है। उन्होंने किसानों को संतुलित उर्वरक प्रबंधन और समय पर पोषक तत्वों के प्रयोग की तकनीक के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी।कार्यक्रम के दौरान किसानों ने विशेषज्ञ से गहन चर्चा की और अपनी समस्याओं के समाधान प्राप्त किया।
(Udaipur Kiran) / आनंद कुमार
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