देहरादून, 04 नवंबर (Udaipur Kiran) । बसंत विहार में नवोदित प्रवाह का काव्य गोष्ठी शृंखला के तहत प्रख्यात साहित्यकार एवं पूर्व प्राचार्य डॉ. सुदेश ब्याला के आवास पर काव्य निशा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन रजनीश त्रिवेदी ने किया। काव्य निशा का प्रारंभ प्रताप साकेती की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुआ। उन्होंने अपना एक गीत – लहरों की करुण कथा सुनकर अधरों की मौन व्यथा सुनकर, शायद गूंगा मन बोल पड़े के माध्यम से श्रोताओं को रससिक्त किया।
डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र ने मनोयोग से कई मुक्तक और गीत सुनाए और श्रोताओं काे बांधे रखा। डॉ. बुद्धिनाथ ने अपने मुक्तक में – प्रेम का पाठ सीखता ही रहा और मन को परखता ही रहा, सोचता ही रहा कि देखूं नहीं, उनका देखा तो देखता ही रहा तथा तुम बदले संबोधन बदले लेकिन मन की बात रही जाने क्यों मौसम के पीछे दिन बदले पर रात वही है तथा आग लाया हूं रंग लाया हूं, गीत गाती उमंग लाया हूं, मन के मंदिर में आपकी खातिर प्यार का जल तरंग लाया हू, जैसी रचना प्रस्तुत की।
नवगीतकार असीम शुक्ल ने नदी की यात्रा पर अपने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा कि- वह नदी जो तोड़कर सीमा नहीं बहती, और अपना दर्द खुद से ही नहीं कहती, रक्त की हर बूंद उसका रूप बलिदानी, बह रही होगी कहीं निर्माण के पथ, श्रम स्वेत वाले मात को सहला रही होगी, जैसी रचना के माध्यम से लोगों को आनंदित किया।
प्रो. राम विनय सिंह ने अपनी रचना- जन्म जन्म पूर्व की अपूर्व भाव चेतनाएं, होती घनी भूत जब आयी कई कविता, शब्द गुण धारक आकाश में तरंगित उमंगित हो मानस में आती कोई कविता के माध्यम से भावविभोर किया।
इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर के गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, नव गीतकार असीम शुक्ल, पूर्व कुलपति डॉ. सुधा पांडे, प्रख्यात गीतकार प्रताप साकेती, प्रो. रामविनय सिंह, डाॅ. राकेश बलूनी, गीतकार अनीता कुकरेती, शिवमोहन सिंह, कथाकार डॉली डबराल, कवि चंदन सिंह नेगी, गजलकार डॉ. इंदू अग्रवाल एवं आतिथेय डॉ. सुदेश ब्याला ने काव्यपाठ किया।
इस अवसर पर जो विशिष्ट लोग उपस्थित थे उनमें जनरल शम्मी सभरवाल, अनिल अग्रवाल, सुनील त्रिवेदी, अखिलेश मिश्र, आदित्य कुमार सिंह, निखिल महाजन, अपराजिता ब्याला, तापस ब्याला, राशिगा रघुपति, सुमन ब्याला समेत भारी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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(Udaipur Kiran) / राम प्रताप मिश्र