नैनीताल, 23 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । नैनीताल स्थित एरीज यानी आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान अनुसंधान संस्थान जीईएचयू और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के द्वारा संयुक्त रूप से छठे क्षेत्रीय रेडियो विज्ञान सम्मेलन (यूआरएसआई-आरसीआरएस) का आयोजन 22-25 अक्टूबर 2024 के दौरान जीईएचयू के भीमताल परिसर में आयोजित किया गया। यह सम्मेलन रेडियो विज्ञान के विभिन्न पहलुओं और इसके अनुप्रयोगों पर केंद्रित रहा।
सम्मेलन में रेडियो तरंगों के वाई-फाई नेटवर्क, संचार उपग्रह और चिकित्सा विज्ञान के अलावा, प्लाज्मा भौतिकी, खगोल विज्ञान और अंतरिक्ष विज्ञान में इनके महत्वपूर्ण योगदान पर चर्चा हुई। बताया गया कि रेडियो खगोल विज्ञान की शुरुआत 1930 के दशक में कार्ल जान्स्की द्वारा मिल्की वे से रेडियो उत्सर्जन की खोज के साथ की गयी थी। इससे ब्रह्मांड को समझने के लिए एक नई दिशा मिली। जिस तरह इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेडियो साइंस के तहत रेडियो विज्ञान का समन्वयन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है, उसी तरह इंडियन रेडियो साइंस सोसाइटी भारत में इस क्षेत्र के प्रसार और युवाओं में रुचि उत्पन्न करने का कार्य कर रही है। यह सम्मेलन हर दो साल में आयोजित होता है और रेडियो विज्ञान के 10 प्रमुख क्षेत्रों को समेकित करता है।
एरीज के निदेशक और सम्मेलन के संयोजक डॉ. मनीष नाजा ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया, जबकि प्रो. एस अनंतकृष्णन ने रेडियो विज्ञान के इतिहास और जगदीश चंद्र बोस एवं प्रो. शिशिर कुमार मित्रा के योगदान पर प्रकाश डाला। प्रो. कजुया कोबायाशी ने भारत के युवाओं के लिए इस क्षेत्र में नए अवसरों का महत्व बताया। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ सेन गुप्ता ने बताया कि सम्मेलन के लिए 500 से अधिक शोध पत्र प्राप्त हुए हैं। जीईएचयू के कुलपति प्रो. संजय जस्सोला ने भी विचार रखे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ. नवीन चन्द्र जोशी