
जयपुर, 25 मार्च (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु 60 साल से बढाकर 62 साल करने को लेकर दिए आदेश की पालना नहीं करने पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि मामले में 13 जुलाई, 2022 को दिए आदेश की पालना होने तक आयुर्वेद निदेशक का वेतन रोका जाए। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस प्रमिल माथुर की खंडपीठ ने यह आदेश महेन्द्र कुमार गुप्ता व अन्य की अवमानना याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि जो आयुर्वेद चिकित्सक 62 साल पार कर गए हैं, उन्हें परिलाभ दिए जाए और जो इस आयु के भीतर है, उन्हें सेवा में लिया जाए।
अवमानना याचिका में अधिवक्ता नितेश कुमार ने बताया कि हाईकोर्ट ने 13 जुलाई, 2022 को आदेश जारी कर आयुर्वेद चिकित्सकों की रिटायरमेंट उम्र को साठ से बढाकर 62 साल किया था। वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट जाने पर अदालत ने 30 जनवरी, 2024 को हाईकोर्ट के आदेश में दखल से इनकार करते हुए विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बावजूद भी राज्य सरकार की ओर से आदेश की पालना नहीं की गई। अवमानना याचिका में कहा गया कि दोषी अफसरों को अदालती आदेश की अवमानना करने पर दंडित किया जाए और आदेश की पालना सुनिश्चित की जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने आदेश की पालना होने तक आयुर्वेद निदेशक का वेतन रोकने का आदेश देते हुए अन्य निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने एलोपैथी चिकित्सकों की रिटायरमेंट आयु बढाकर 62 साल की थी। इस आधार पर आयुर्वेद चिकित्सकों ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
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(Udaipur Kiran)
