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हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानने पर तीन आईएएस अधिकारियों का मासिक वेतन रोकने के आदेश

jodhpur

-साढ़े तीन साल बीत जाने के बावजूद नहीं हुई आदेशों की पालना, अवमानना प्रकरण पर जताई नाराजगी

जोधपुर, 12 मार्च (Udaipur Kiran) । हाइकोर्ट के आदेश को साढ़े तीन साल बीत जाने के बावजूद उसकी पालना नहीं करने व चयनित वेतनमान और एरियर का भुगतान नहीं करने पर हाइकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने राज्य सरकार को आईएएस अधिकारी हेमन्त गेरा, राजेन्द्र कुमार भट्ट और ताराचंद मीणा की मासिक तनख्वाह रोकने के आदेश दिए है। साथ ही कार्मिक विभाग के वर्तमान प्रमुख सचिव को कोर्ट में व्यक्तिश: उपस्थित रहने बाबू से लेकर जिला कलेक्टर तक अवमानना फ़ाइल से संबंधित पूर्व और वर्तमान सभी जिम्मेदार कार्मिकों की लिस्ट कोर्ट में पेश करने, इन निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने हेतु इस आदेश की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव को भेजने के लिए हाइकोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिए है। मामले में अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।

दअरसल राजस्थान सरकार में उदयपुर स्थित जि़ला कलेक्टर और संभागीय आयुक्त कार्यालय में मिनिस्टीरियल स्टॉफ के पदों पर कार्यरत रमेश चंद्र औदिच्य, किशनलाल वैष्णव व सात अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी ने रिट याचिका पेश कर जाहिर किया था कि उन्हें राजस्थान हाइकोर्ट खंडपीठ के पूर्व निर्णय की पालना में प्रथम नियुक्ति तिथि 13.08.1987 से स्थायी करते हुए प्रथम और द्वितीय चयनित वेतनमान दिए गए लेकिन तृतीय चयनित वेतनमान देने के समय फिऱ मना कर दिया गया। जिस पर हाइकोर्ट एकलपीठ ने 23 सितंबर 2021 को याचिकाकर्ताओं की रिट याचिका स्वीकार करते हुए 27 वर्ष पर देय तृतीय चयनित वेतनमान की गणना दिनांक 12 अगस्त 2014 से करने और तदनुसार सभी नकद परिलाभ निर्णय से तीन माह के भीतर करने का आदेश दिया गया। साथ ही बढ़ी हुई सैलेरी और पारिणामिक परिलाभ के एरियर का भुगतान 31 मार्च 2022 तक करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए। उक्त आदेश की पालना नहीं करने पर याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता यशपाल खि़लेरी के जरिये अवमानना याचिका दायर कर आदेश की पालना नहीं होने अवमाननाकर्ताओं को सख्त सज़ा दिलाने की मांग की गई।

अवमानना याचिका के नोटिस मिलने पर अवमाननाकर्ताओं की ओर से राजकीय अधिवक्ता ने जवाब पेश कर जाहिर किया कि स्पेशल अपील पेंडिंग होने से पालना नहीं की जा सकी है। जिस पर अधिवक्ता खि़लेरी ने बताया कि खण्डपीठ द्वारा स्पेशल अपील भी दिनांक दो अगस्त 2023 को ख़ारिज की जा चुकी है और अपील में एकलपीठ आदेश पर कोई स्टे/स्थगन आदेश भी नही था, ऐसे में अवमाननाकर्ताओं द्वारा न्यायालय को केवल और केवल गुमराह करने की कोशिश की जा रही है जो न्यायालय की स्पष्ट अवमानना की तारीफ़ में आता हैं। इस पर हाइकोर्ट ने मामले की गंभीरता और अवमाननाकर्ताओ के व्यवहार को देखते हुए राज्य सरकार को तत्कालीन कार्मिक विभाग सचिव हेमन्त गेरा, तत्कालीन संभागीय आयुक्त उदयपुर राजेन्द्र कुमार भट्ट और तत्कालीन जि़ला कलेक्टर उदयपुर ताराचंद मीणा की मासिक तनख्वाह रोकने और उच्च न्यायालय के आदेश के बिना मासिक सैलरी नहीं दिए जाने के राज्य सरकार को निर्देश दिए। साथ ही राजस्थान सरकार के कार्मिक विभाग के वर्तमान प्रमुख सचिव को कोर्ट में व्यक्तिश: उपस्थित रहने के भी आदेश दिए और राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह बाबू/एलडीसी से लेकर जिला कलेक्टर तक इस अवमानना फ़ाइल से संबंधित दो अगस्त 2023 के बाद के पूर्व और वर्तमान सभी जिम्मेदार कार्मिकों की लिस्ट अगली पेशी पर न्यायालय में पेश करें। साथ ही हाइकोर्ट रजिस्ट्री को इन निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के लिए इस आदेश की कॉपी राज्य के मुख्य सचिव को भेजने के आदेश भी दिए गए।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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