जयपुर, 02 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने बार कौंसिल ऑफ राजस्थान, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व जोधपुर, दी बार एसोसिएशन जयपुर सहित प्रदेश की बार एसोसिएशन चुनाव में महिला अधिवक्ताओं को 33 फीसदी आरक्षण नहीं देने के मामले में बार कौंसिल ऑफ इंडिया को पक्षकार बनाने को कहा है। सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता हेमा तिवाडी की जनहित याचिका पर दिए। अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट बार और दी बार एसोसिएशन को नोटिस तामील होने के बाद भी उनकी ओर से कोई पेश नहीं हुआ है। ऐसे में लगता है कि उन्हें महिला आरक्षण पर कोई आपत्ति नहीं है।
सुनवाई के दौरान बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्तियां उठाई। बीसीआर की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता स्वयं बार कौंसिल ऑफ राजस्थान का चुनाव लडऩा चाहती हैं। ऐसे में व्यक्तिगत हितों को लेकर जनहित याचिका पेश नहीं हो सकती। वहीं महिला आरक्षण को लेकर नियम बनाने का अधिकार बार कौंसिल ऑफ इंडिया को है और याचिका में बीसीआई को पक्षकार नहीं बनाया गया है। इस पर कोर्ट ने बीसीआई को पक्षकार बनाने के आदेश देते हुए मामले की सुनवाई 10 दिसंबर को रखी है।
जनहित याचिका में कहा कि नारी शक्ति वंदन अभियान-2023 के तहत महिला आरक्षण अधिनियम लाया गया। जिसके तहत महिलाओं को संसद में 33 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया गया। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2024 को अदिति चौधरी बनाम बार कौंसिल ऑफ दिल्ली व अन्य के मामले में बार कौंसिल ऑफ दिल्ली को निर्देश दिया है कि वह बार कौंसिल के चुनावों में महिला अधिवक्ताओं के लिए भी 33 फीसदी सीट आरक्षित रखें। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने भी बीसीआर को महिला अधिवक्ताओं को 33 फीसदी आरक्षण देने के लिए 28 अगस्त को प्रतिवेदन दिया था, लेकिन उसके प्रतिवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। देश में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री के पद पर महिला नियुक्त हो चुकी है, लेकिन बीसीआर में चेयरमैन व वाइस चेयरमैन के पद पर कभी भी कोई महिला नियुक्त नहीं हुई। इसलिए बीसीआर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर व जोधपुर सहित अन्य जिला बार एसोसिएशनों में भी महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व देते हुए 33 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाए।
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(Udaipur Kiran)