
जयपुर, 10 अप्रैल (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने करीब 35 साल की सेवा में बाद दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर पांच साल पहले रिटायर हुए कर्मचारी को 10 अप्रैल, 2006 की कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए उसे समस्त पेंशन परिलाभ देने के आदेश दिए हैं। जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश डीके शर्मा की ओर से 20 साल पहले दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने कहा कि अन्य कर्मचारियों की तरह याचिकाकर्ता को साल 2006 में ही नियमित कर दिया जाना चाहिए था।
याचिका में अधिवक्ता हितेश बागड़ी ने बताया कि याचिकाकर्ता चिकित्सा विभाग, कोटा में साल 1985 में एलडीसी पद पर दैनिक वेतनभोगी के तौर पर लगा था। तय प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे उसी साल हटा दिया गया। वहीं बाद में लेबर कोर्ट के आदेश पर उसे पुन: सेवा में लिया गया। याचिकाकर्ता ने विभाग में प्रार्थना पत्र पेश कर उसे नियमित करने की गुहार की, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया। वहीं याचिका के लंबित रहने के दौरान राज्य सरकार ने 27 फरवरी, 2009 को अधिसूचना जारी कर प्रावधान किया कि 10 अप्रैल, 2006 तक दस साल की सेवा पूरी करने वाले कर्मचारियों नियमित किया जाएगा। इसके बावजूद भी उसे नियमित नहीं किया गया। जबकि वह सीएमएचओ की ओर से जारी सूची में भी शामिल था। वहीं साल 2020 में वह दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के तौर पर ही रिटायर हो गया। जिसका विरोध करते हुए विभाग के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को प्रोजेक्ट विशेष के लिए लिया गया था और प्रोजेक्ट पूरा होने पर उसे हटाया गया। वहीं उसे कोर्ट की दखल के बाद वापस सेवा में लिया गया। सीएमएचओ ने भी गलत व्याख्या कर उसे सूची में शामिल किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को कट ऑफ डेट से नियमित मानते हुए पेंशन परिलाभ देने को कहा है।
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(Udaipur Kiran)
