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जयपुर, 4 सितंबर (Udaipur Kiran) । राजस्थान हाईकोर्ट ने दाे साल के बच्चे की कस्टडी के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उसकी कस्टडी दादा-दादी से लेकर विधवा मां को सौंपने के आदेश दिए हैं। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस भुवन गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। अदालत ने माना कि नाबालिग संतान की मां उसकी सबसे पहले स्वाभाविक अभिभावक होती है। याचिकाकर्ता शिक्षित और आर्थिक रूप से सुदृढ़ है, जबकि दादा सिर्फ आठवीं पास है। वही उसके पास आय का नियमित स्त्रोत भी नहीं है। ऐसे में याचिकाकर्ता बच्चे का अच्छी तरह ख्याल रख सकती है।
याचिका में कहा गया कि उसके पति की बीते दिनों कार दुर्घटना में मौत हो गई। इसके बाद याचिकाकर्ता को स्कूल व्याख्याता पद पर नियुक्ति मिली। ऐसे में वह अपने दो साल के बेटे को दादा-दादी के पास छोडकर कार्य ग्रहण करने चली गई। वहीं बाद में उसे बच्चे की कस्टडी नहीं सौंपी गई। वहीं दादा-दादी की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता के पति की मौत असामान्य परिस्थिति में हुई थी और उसने सुसाइड नोट में इसके लिए याचिकाकर्ता को जिम्मेदार ठहराया था। प्रकरण में याचिकाकर्ता के खिलाफ निचली अदालत में शिकायत लंबित चल रही है। ऐसे में बच्चे की कस्टडी उसके दादा-दादी के पास ही रहनी चाहिए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने बच्चे की कस्टडी याचिकाकर्ता को सौंपने के आदेश दिए हैं।
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(Udaipur Kiran)
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