अयोध्या, 6 नवंबर (Udaipur Kiran) । राजर्षि दशरथ स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय कालेज के संविदाकर्मी प्रभुनाथ मिश्रा की आत्महत्या मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अयोध्या ने मृतक के पिता द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र का संज्ञान लेते हुए अयोध्या नगर कोतवाली के थाना प्रभारी को आदेश देते हुए कहा कि मामला प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध होना पाया जाता है। अतः प्रार्थना पत्र के आधार पर अविलंब मुकदमा दर्ज कर आगे की विधिक कार्यवाही से न्यायालय को अवगत कराया जाय।
मृतक के पिता द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के अनुसार राजर्षि दशरथ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की प्रताड़ना से प्रभुनाथ मिश्रा ने आत्महत्या की थी।
अयोध्या मेडिकल कॉलेज में आउटसोर्सिंग पर कार्यरत प्रभुनाथ मिश्रा से एमबीबीएस की छात्रा ऋतु और निर्मला कुमावत से पर्चा बनाने को लेकर 29 जुलाई को विवाद हुआ था। विवाद के बाद प्राचार्य ने अपने चैम्बर में बुलाकर प्रभुनाथ को फर्जी मुक़दमे में फ़ंसाने को लेकर लगातार प्रताड़ित कर रहे थे ,फिर 7 अगस्त को प्रभुनाथ को प्राचार्य ने अपने कमरे में बुलाकर बेज्जत किया। नौकरी से बाहर निकालने की धमकी देते हुए कहा कि आज तुम्हारा आख़िरी दिन है। आज तुम्हें जेल भिजवा दूँगा अन्यथा सार्वजनिक रूप से पैर पकड़ कर माफ़ी माँगो। इस पर प्रभुनाथ ने मना कर दिया पर इस बात का दबाव ज्ञानेद्र लगातार बनाते रहे। जिससे आहत होकर आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद परिवार के लाेग बेटे को बचाने के लिए अयोध्या से लेकर लखनऊ तक दौड़े लेकिन बचा नहीं पाए।
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(Udaipur Kiran) / पवन पाण्डेय