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सिराजुद्दौला के हीराझिल महल की सुरक्षा पर सक्रिय हुआ हाईकोर्ट, जिलाधिकारी के नेतृत्व में निरीक्षण का आदेश

कलकत्ता हाई कोर्ट

कोलकाता, 06 मार्च (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के अंतिम स्वतंत्र नवाब सिराजुद्दौला द्वारा बनवाए गए मुर्शिदाबाद स्थित ऐतिहासिक हीराझिल महल को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने अहम निर्देश दिया है। अदालत ने मुर्शिदाबाद के जिलाधिकारी की अगुवाई में एक टीम को हीराझिल महल और उसके आसपास के इलाके का निरीक्षण करने का आदेश दिया है। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि महल के अवशेषों को संरक्षित किया जा सकता है या नहीं, इस पर छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश की जाए।

मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति चैताली चटर्जी की खंडपीठ ने गुरुवार को यह आदेश दिया। अदालत ने कहा कि निरीक्षण दल में केंद्र और राज्य पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के प्रतिनिधि, राज्य हेरिटेज कमीशन के प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे। इस दल के संयोजक जिलाधिकारी होंगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि निरीक्षण के दौरान याचिकाकर्ता ट्रस्ट भी आवश्यक सूचनाएं देकर सहायता कर सकता है।

दरअसल, हीराझिल महल के बचे हुए हिस्से को सुरक्षित रखने की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता बिकाशरंजन भट्टाचार्य ने अदालत में दलील दी कि संबंधित अधिकारी हीराझिल के शेष भागों को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम नहीं उठा रहे हैं।

पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। गुरुवार को राज्य सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि वर्ष 1758 के आसपास ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस महल को नष्ट कर दिया था। ब्रिटिश शासन शुरू होने से पहले ही हीराझिल पूरी तरह तबाह हो चुका था और वहां अब इतिहास से जुड़ा कुछ भी बाकी नहीं है।

हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत को बताया गया कि हीराझिल महल के कुछ हिस्से अभी भी मौजूद हैं। इससे पहले भी महल का कुछ भाग भागीरथी नदी में समा चुका है, मगर जो बचा है उसे सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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