अजमेर, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आयुर्वेद विश्वविद्यालय, अजमेर की स्थापना के लिए महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की आवंटित भूमि में से दिये जाने के संबंध में आज विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, सेवानिवृत कर्मचारियों, छात्रों, पूर्व छात्रों आदि के द्वारा संयुक्त रूप से विश्वविद्यालय में प्रदर्शन किया गया तथा विश्वविद्यालय की भूमि बचाये जाने के संबंध में एक विशाल रैली की गई। प्रदर्शन एवं रैली के दौरान सैंकड़ों की संख्या में विद्यार्थी तथा कर्मचारी उपस्थित थे। सभी में अपनी कर्मभूमि को बचाने का पूरा जोश था।
महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय को आवंटित भूमि आयुर्वेद विश्वविद्यालय को दिये जाने के संबंध में आज विश्वविद्यालय में प्रबंध मण्डल की बैठक रखी गई थी जिसमें विश्वविद्यालय की जमीन दिये जाने के संबंध में बिंदु रखा गया था। उक्त बिन्दु को निरस्त कर भूमि आयुर्वेद विश्वविद्यालय को नहीं दिये जाने के लिए यह प्रदर्शन किया गया साथ ही प्रबंध मण्डल की बैठक में आए सभी सदस्यों को एवं कुलपति को इस संबंध में ज्ञापन दिया गया। प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से किया गया। तख्तियों पर विश्वविद्यालय की भूमि बचाने के संबंध में नारे लिखकर एक विशाल रैली निकाली गई। साथ ही पोस्टकार्ड अभियान की शुरुआत की गई जिसमें लगभग 1000 पोस्टकार्ड प्रदर्शन स्थल पर ही भरवाकर एकत्रित किये गये जिन्हें राज्यपाल को भिजवाया जायेगा जिससे राज्यपाल को निवेदन कर उक्त भूमि के अतिरिक्त कोई अन्य भूमि आयुर्वेद विश्वविद्यालय के लिए दिये जाने के सम्बन्ध में निवेदन किया जायेगा।
सभा को कर्मचारी संघ के अध्यक्ष उमाशंकर शर्मा, महासचिव राजकुमार गर्ग, पूर्व कर्मचारी संघ अध्यक्ष दिलीप शर्मा आदि ने संबोधित किया। प्रदर्शन करने वालों में विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी साथी डॉ. आशीष चौरसिया, डॉ लारा शर्मा, प्रो सुब्रतो दत्ता, प्रो.ऋतु माथुर, डॉ दिग्विजय सिंह, बजरंग लाल ढाका सहायक कर्मचारी संघ अध्यक्ष,दिलीप शर्मा, डॉ. अशोक गुप्ता, पुनीत साहनी, प्रेम जोनवाल, परमानन्द बरूना, पुष्पेन्द्र शर्मा, सुरेन्द्र कुमावत, सेवानिवृत कर्मचारी, बुद्धि प्रकाश अग्रवाल, पी.डी. कुमावत एवं छात्र नेता उपस्थित थे।
गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने हाल ही में अजमेर में आयुर्वेद विश्वविद्यालय के लिए मदस विश्वविद्यालय की जमीन में से जमीन दिए जाने को मौका देकर कर सहमति दर्शाई थी। इसके बाद से विश्वविद्यालय स्तर पर कार्यवाही शुरू हो गई किन्तु इसमें विश्वविद्यालय के शिक्षकों और कर्मचारियों के अलावा विद्यार्थियों की रजामंदी नहीं थी। सभी अब इसका विरोध शुरू कर दिया है।
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(Udaipur Kiran) / संतोष