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ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया भारतीय सशस्त्र बलों की असली ताकत : पूर्व वायुसेना प्रमुख अरूप राहा

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा कोलकाता में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए।
पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा कोलकाता में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए।

कोलकाता, 14 जून (Udaipur Kiran) । पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) अरूप राहा ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से भारतीय सशस्त्र बलों की वास्तविक संचालन क्षमता सामने आई है। उन्होंने इस सैन्य कार्रवाई को भारत की वर्षों की सामरिक प्रगति का प्रतीक बताया।

भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल द्वारा रक्षा क्षेत्र में एमएसएमई की भूमिका पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए राहा ने शनिवार को कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी ठिकानों के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट कर दिया कि हमारी सेनाओं में अब कितनी क्षमता आ चुकी है।

राहा, जो वर्तमान में असम विश्वविद्यालय के कुलपति हैं, उन्होंने ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल की सफलता को गौरव का विषय बताया और याद दिलाया कि यह परियोजना कई साल पहले शुरू हुई थी।

उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उपलब्धियों की भी सराहना करते हुए कहा, इसरो आज दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसी बन चुकी है। चंद्रयान से लेकर सौर मिशनों तक, हमने लक्ष्य दर लक्ष्य हासिल किए हैं। इसरो के मार्गदर्शन में हमने शक्तिशाली रॉकेट प्रणालियों का विकास किया है और हमारे उपग्रह अब अन्य देशों द्वारा भी उपयोग में लाए जा रहे हैं, विशेष रूप से वे देश जो आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं।

उन्होंने बताया कि रक्षा अभियानों को मजबूती देने के लिए इसरो द्वारा उपग्रहों को कक्षा में स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि कमांड और कंट्रोल डेटा को उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त किया जा रहा है, जिसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की मदद से विश्लेषित कर सीमा सुरक्षा और लक्ष्यों की पहचान में उपयोग किया जा रहा है।

पूर्व वायुसेना प्रमुख ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित मिसाइलें ध्वनि की गति से पांच से 10 गुना तेज गति से लक्ष्य तक पहुंचने में सक्षम हैं। हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए), एकीकृत कमांड कंट्रोल परियोजना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, नैनो तकनीक, जहाज निर्माण, पनडुब्बी प्रणाली जैसी योजनाओं ने भारत को अग्रणी राष्ट्रों की कतार में ला खड़ा किया है।

हालांकि राहा ने चिंता जताते हुए कहा कि भारत अब भी जेट इंजन निर्माण में पिछड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि हम अभी भी अमेरिका से इंजन खरीद रहे हैं, यह हमारी रणनीतिक स्वतंत्रता को प्रभावित कर रहा है और साथ ही इसमें भारी खर्च भी शामिल है। राहा ने अगले 10 वर्षों में भारत की रक्षा स्वायत्तता, रोजगार सृजन और निर्यात आय की दिशा में ठोस रणनीति बनाए जाने की आवश्यकता जताई।

उन्होंने कहा कि देश को एक स्वदेशी रक्षा आपूर्ति श्रृंखला और स्वतंत्र रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना चाहिए, जिसमें सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों की भागीदारी होनी चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पूर्वी भारत के एमएसएमई को देश के रक्षा गलियारों से जोड़ने की भी वकालत की।

राहा ने कहा, अगर हम विदेशी कंपनियों से सैकड़ों विमानों की खरीद करते हैं, तो अरबों डॉलर देश से बाहर चले जाएंगे। हमें यह तय करना होगा कि विदेशी कंपनियों को पैसा क्यों दिया जाए, जबकि हमारे पास खुद की रणनीतिक योजना बनाने की क्षमता है।

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(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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