Haryana

नरवाना उपचुनाव जीतकर ओपी चौटाला बने थे मुख्यमंत्री

स्व. ओपी चौटाला।

जींद, 20 दिसंबर (Udaipur Kiran) । पूर्व सीएम चौधरी ओमप्रकाश चौटाला के निधन से हरियाणा की राजनीतिक राजधानी जींद को बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2000 में जब पार्टी सत्ता आई तो उसके बाद किसान आंदोलन भी हुआ और उसका गढ़ भी जींद ही बना लेकिन इस आंदोलन के बावजूद चाैटाला अपने वोट बैंक को बनाए रखने में काफी हद तक सफल रहे थे। ओमप्रकाश चौटाला जब नरवाना विधानसभा से विधायक बन कर मुख्यमंत्री बने तो वह अपने खुले दरबार लगाते रहते और लोगो की समस्याओ को सुनते थे। उनका खौफ ऐसा था कि अधिकारी हमेशा कार्यों के लिए तत्पर रहते थे। नरवाना से भी उनका गहरा लगाव भी था।

चौटाला 1993 में नरवाना से ही विधायक बने थे। इसके बाद 2000 में नरवाना से फिर विधायक बने थे और फिर 2009 में उचाना से विधायक बने थे। खुद ओमप्रकाश चौटाला की बात करें तो जींद जिले में पहली बार उन्होंने 1993 में नरवाना विधानसभा उपचुनाव में ताल ठोकी थी और जीत दर्ज की थी। 1996 के आम चुनाव में वह चुनाव हार गए लेकिन 2000 के चुनाव में उन्होंने दोबारा से यहां से जीत दर्ज की और हरियाणा के मुख्यमंत्री बने लेकिन 2005 में उन्हें फिर यहां से हार का सामना करना पड़ा। इसी दौरान परिसीमन हो गया था और नरवाना सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई थी।

इसके बाद उन्होंने 2009 में उचाना से ताल ठोकी और जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें जेबीटी टीचर भर्ती मामले में 10 साल की कैद की सजा सुना दी गई और उचाना से दुष्यंत चौटाला मैदान में आए। जींद जिला इनेलो की राजनीति की धूरी के रूप में रहा है। इस जाट लैंड पर उनका एकछत्र साम्राज्य रहा है। जिले की सभी पांच विधानसभा सीटों पर उन्होंने एक से अधिक बार जीत दर्ज की है। ओम प्रकाश चौटाला का जींद से खासा लगाव रहा है। वर्ष 2000 के बाद से जींद को इनेलो का गढ़ माना जाने लगा था। यहां से कभी तीन तो कभी चार विधायक इनेलो के बने। इनेलो प्रदेश प्रवक्ता विजेंद्र रेढू ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का अंतिम संस्कार शनिवार को तीन बजे तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर होगा। उनकी मृत्यु से निश्चित तौर पर प्रदेश को बहुत बड़ा राजनीतिक आघात लगा है। जिनकी पूर्ति होना असंभव है।

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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा

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