लखनऊ, 8 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय संगत-पंगत के संस्थापक अध्यक्ष, पूर्व सांसद डाॅ आर. के. सिन्हा ने कहा कि एकजुट जमात ही समाज का अगुवा होता है। कायस्थ चाहे जितने भी प्रतिभाशाली क्यों न हों, संगठित नहीं हैं। यही उनकी बदहाली और उपेक्षा का मूल कारण है। डॉ. सिन्हा आज यहां गोमती तट स्थित पर्वतीय महापरिषद मंच से राष्ट्रीय कायस्थ समागम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से यह समागम भविष्य की दिशा तय करेगा। अगला समागम 21 सितंबर को पटना में आयोजित किया जाएगा, जिसमें देशभर से लाखों कायस्थों का जुटान होगा। अतिथियों के ठहरने और भोजन – भ्रमण की व्यवस्था राष्ट्रीय संगत-पंगत की ओर से किया जाएगा।
डॉ. सिन्हा ने कहा कि कायस्थ बिरादरी के लोग भाव और सम्मान के भूखे होते हैं। दुर्भाग्य से लोकतंत्र में प्रतिभा नहीं बल्कि सिर गिना जाता है। उन्होंने समागम में मौजूद लोगों को समझाते हुए कहा कि जातीय संगठन भले ही अधिकाधिक हों लेकिन उनके बीच कटुता नहीं होनी चाहिए। हो सके तो एक- दूसरे की मदद कीजिए। अगर मदद नहीं कर सकते तो विरोध तो हरगिज़ मत कीजिए। दक्षिण भारत के कायस्थ संगठित हैं, इसीलिए विकसित हैं।
समागम की अध्यक्षता प्रदेश के वन और पर्यावरण मंत्री डाॅ अरुण कुमार ने की। उन्होंने कहा कि अतीत में कायस्थ जमींदार हुआ करते थे। लेकिन धीरे- धीरे उन्होंने अपनी Xbox बेच दी और दुर्भाग्यवश उनके पास रोजगार भी नहीं है। इसीलिए आज कायस्थों की हालत खराब है।
वन मंत्री ने कहा कि 95 फीसदी कायस्थ भाजपा के मतदाता हैं लेकिन आबादी कम होने के कारण सियासत में उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाता है। यह अलग बात है कि बरेली नगर परिषद् में कायस्थों का बोलबाला है।
समागम को अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कायस्थ समाज अपनी खोपड़ी में ब्रह्माण्ड लिये फिरता है। हमारे ही कुल गोत्र में खुदीराम बोस, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सच्चिदानंद सिन्हा, काली प्रसाद कुलभास्कर आदि उत्पन्न हुए। लेकिन आपसी सिर फुटौव्वल के कारण हम पिछड़ते जा रहे हैं। हमें डाॅ. आर. के. सिन्हा के नेतृत्व में इस स्थिति को बदलना होगा।
चक्रपाणि महाराज ने कसाईवाड़ा चौराहे का नाम काली प्रसाद चौराहा करने का प्रस्ताव दिया जिसे सभा ने ध्वनिमत से स्वीकार कर लिया। समागम को विधान परिषद सदस्य के पी श्रीवास्तव, पूर्व विधायक विंध्यवासिनी प्रसाद, लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रमेश श्रीवास्तव, मनोज श्रीवास्तव समेत कई लोगों ने संबोधित किया। स्वागत कायस्थ पाठशाला के अध्यक्ष सुशील सिन्हा ने किया। समागम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात आदि राज्यों से काफी संख्या में लोग मौजूद थे।
(Udaipur Kiran) / दिलीप शुक्ला