Uttar Pradesh

संस्कृति विभाग की पांच संस्थाओं में गोरक्ष भूमि से एक उपाध्यक्ष और तीन सदस्य नामित

डा. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी बिरजू महराज कथक संस्थान की  उपाध्यक्ष*
डा. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी बिरजू महराज कथक संस्थान की  उपाध्यक्ष*
डा. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी बिरजू महराज कथक संस्थान की  उपाध्यक्ष*
डा. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी बिरजू महराज कथक संस्थान की  उपाध्यक्ष*

गोरखपुर, 16 सितंबर (Udaipur Kiran) । राज्य सरकार ने संस्कृति विभाग के अधीन उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, भारतेंदु नाट्य अकादमी, उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी, उत्तर प्रदेश लोक एवं जनजाति संस्कृति संस्थान और विरजू महराज कथक संस्थान के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और गैर सरकारी सदस्यों को नामित कर दिया है। गोरक्ष भूमि से डॉ. (श्रीमती) मिथिलेश तिवारी, डॉ कुमुद सिंह, डॉ संदीप कुमार श्रीवास्तव और मानवेंद्र त्रिपाठी को संस्कृति विभाग के प्रमुख संस्थानों में मनोनीत होने का सौभाग्य मिला है। इनके मनोनयन पर प्रमुख सचिव संस्कृति, मुकेश कुमार मेश्राम ने आदेश जारी किया।

मनोनीत उपाध्यक्ष और नामित सदस्यों ने अपने अकादमिक संस्थानों में पद ग्रहण कर लिया है। सभी का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने से तीन वर्ष के लिए होगा।उत्तर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह और उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम, क्षेत्रीय ललित कला अकादमी लखनऊ के क्षेत्रीय सचिव देवेन्द्र त्रिपाठी ने शुभकामना दिया।

डॉ. मिथिलेश तिवारी ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से बिरजू महाराज कथक संस्थान लखनऊ में उपाध्यक्ष का पद ग्रहण करने का सौभाग्य मिला है। बिरजू महाराज कथक संस्थान शास्त्रीय नृत्य को समर्पित है। जहां से विद्यार्थी कथक नृत्य का प्रशिक्षण लेकर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हो रहे हैं। अधिक से अधिक क्षेत्र में कथक के प्रति लोगों में जागरूकता के साथ शिक्षण प्रशिक्षण की व्यवस्था इस संस्थान की प्राथमिकता होगी। नृत्य की मौलिकता को संरक्षित करते हुए विद्यार्थियों को राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय स्तर पर मंच प्रदान करने का प्रयास किया जायेगा। कुशल प्रशिक्षको द्वारा कार्यशाला और प्रदर्शन के साथ विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिखर तक पहुंचना संस्थान का मूल उद्देश्य है। संस्थान में नवाचार के लिए डॉ. मिथिलेश तिवारी ने कहा कि संस्थान में परफॉर्मिंग आर्ट्स में नृत्य के साथ शास्त्रीय गायन और वादन का मौलिक संबंध होता है। शास्त्रीय कथक नृत्य के मूल में पारंपरिक शास्त्रीय गायन और वादन को प्रतिष्ठित करने का प्रयास होगा।

देश विदेश में गायन प्रस्तुति से ख्याति अर्जित कर चुकी डॉ. मिथिलेश तिवारी ने शास्त्रीय संगीत को प्रतिष्ठत किया है। आपने गोरखपुर विश्व विद्यालय में भी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण दिया है। संस्कृति मंत्रालय दिल्ली से लोक संगीत पर अन्वेषकीय कार्य किया है। साथ ही विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में आपके लेख प्रकाशित हो चुके हैं।

(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय

Most Popular

To Top