-विनिर्माण क्रांति ने नवाचार, निवेश और आत्मनिर्भरता की गति पकड़ी
नई दिल्ली, 25 सितंबर (Udaipur Kiran) । मेक इन इंडिया ने 10 साल पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में 25 सितंबर, 2014 को इसकी शुरुआत हुई थी। इस पहल ने देश को वैश्विक निर्माण में अग्रणी बना दिया है। ये मेक इन इंडिया का ही असर है कि पिछले दस साल में भारत में हर घंटे एक स्टार्टअप लॉन्च हुआ। देश में 30 जून 2024 तक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप की संख्या 1,40,803 हो गई है, जिससे 15.5 लाख से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि 25 सितंबर 2014 को शुरू की गई ‘मेक इन इंडिया’ पहल ने भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए एक ऐतिहासिक दशक पूरा कर लिया है। प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इस कार्यक्रम ने घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने, नवाचार को बढ़ावा देने, कौशल विकास को बढ़ाने और विदेशी निवेश को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मंत्रालय ने कहा कि भारत की निर्माण क्रांति ने नवाचार, निवेश और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए गति पकड़ ली है।
मेक इन इंडिया के 10 वर्षों के प्रभाव की एक झलक –
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) : भारत में 2014 से 2024 तक 667.4 अरब अमेरिकी डॉलर का संचयी प्रवाह आकर्षित किया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 119 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है। ये निवेश प्रवाह 31 राज्यों और 57 क्षेत्रों में फैला हुआ है, जो विविध उद्योगों में विकास को बढ़ावा देता है। इसी तरह कुछ रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों को छोड़कर अधिकांश क्षेत्र स्वचालित मार्ग के तहत 100 फीसदी एफडीआई के लिए खुले हैं। पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 165.1 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले एक दशक (2004-14) की तुलना में 69 फीसदी की वृद्धि को दर्शाता है, जिसमें 97.7 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह देखा गया था।
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना :
निर्यात और रोजगार :
व्यापार करने में आसानी :
मेक इन इंडिया के प्रमुख सुधार –
सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम विकास : 76,000 करोड़ रुपये मूल्य के सेमीकॉन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य पूंजी समर्थन और तकनीकी सहयोग की सुविधा देकर सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण को प्रोत्साहन प्रदान करना है। भारत ने सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के हर सेगमेंट का समर्थन करने के लिए नीतियां विकसित की हैं, जिसमें न केवल फैब्स पर ध्यान केंद्रित किया गया है, बल्कि पैकेजिंग, डिस्प्ले वायर, ओएसएटी, सेंसर और बहुत कुछ शामिल हैं।
राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) :
पीएम गति शक्ति :
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) :
औद्योगिक गलियारे और बुनियादी ढांचा :
एक-ज़िला-एक-उत्पाद (ओडीओपी) :
स्टार्टअप इंडिया :
मंत्रालय के मुताबिक केंद्र सरकार ने घरेलू और विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है, जिससे एक मजबूत और गतिशील आर्थिक माहौल को बढ़ावा मिला है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और कॉर्पोरेट कर में कमी जैसे ऐतिहासिक सुधारों से लेकर व्यापार करने में आसानी और एफडीआई नीतियों को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से दूरगामी उपायों तक, हर कदम एक अधिक निवेश-अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की दिशा में है। इसके अलावा चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी), सार्वजनिक खरीद आदेश और गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) जैसी पहल घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित हैं।
(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर