जयपुर, 28 दिसंबर (Udaipur Kiran) । भांकरोटा में गैस टैंकर अग्निकांड को शनिवार काे सात दिन हो चुके है। हादसे के शिकार मरीज अब भी दम ताेड़ते जा रहे है। मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। देर रात झुलसे एक मरीज ने एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया है। अब तक इस दर्दनाक हादसे में 20 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा सात मरीज अब भी गंभीर हालात में है। जो जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे है। डॉक्टर्स उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे है। यह सभी मरीज अस्पताल में दर्द से छटपटा रहे है। इनका शरीर 60 फीसदी से ज्यादा झुलसा हुआ है। इनकी हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि झुलसे मरीजों के अगले 48 घंटे अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इन मरीजों की लीवर, किडनी व अन्य आर्गन अब धीरे धीरे प्रभावित हो रहे है। जिससे इन मरीजों की जान खतरे में है। हादसे में झुलसे मरीजों का स्किन ट्रांस्प्लांट किया जा रहा है। फिर भी मरीज लगातार दम तोड़ रहे है।
जानकारी के अनुसार शनिवार सुबह 6.15 बजे अजमेर निवासी सलीम की इलाज के दौरान मौत हाे गई। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा।
20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुई घटना में 27 लोग 80 फीसदी तक झुलस गए थे। इनमें सबसे अधिक संख्या 50 से 55 फीसदी तक झुलसे लोगों की थी। सलीम भी करीब 55 फीसदी झुलस गया था। सलीम का भाई उसे हॉस्पिटल लाने के दौरान उसके साथ था।
उसे उम्मीद थी कि आठ दिन बाद जरूर उसका भाई बच जाएगा, लेकिन शनिवार सुबह डॉक्टर्स ने उसे मौत की जानकारी दी। एसएमएस के बर्न स्पेशलिस्ट डॉ. राकेश जैन ने बताया कि टीम घटना के बाद से ही घायल मरीजों के इलाज में लगी है। हर सम्भव कोशिश की जा रही है कि मरीजों की रिकवरी का रेट बढ़े। डॉक्टर्स की टीम अच्छे से अच्छा उपचार देने का प्रयास कर रही हैं।इस घटना ने पीड़ित परिवारों को गहरे शोक में डाल दिया है। कई परिवार अब भी अस्पताल के बाहर अपने प्रियजनों की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। बीते दिन तीन घायलों को अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, लेकिन अब भी अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है। इस अग्निकांड के बाद अलग-अलग जांच एजेंसिया अपनी रिपोर्ट तैयार करने में जुटी हुई हैं। हादसे के कारणों और जिम्मेदार व्यक्तियों का पता लगाने का काम जारी है। केंद्र और राज्य सरकार मुआवजा दे चुकी हैं। बीस दिसंबर की सुबह गैस टैंकर को एक ट्रक ने पीछे से टक्कर मार दी। भिड़ंत इतनी तेज थी कि एलपीजी गैस टैंकर के तीनों नोजल टूट गए। अचानक हुई इस टक्कर से गाड़ियां आपस में टकरा कर रुक गईं। जैसे ही लोगों को गैस फैलने का आभास हुआ, सभी अपनी गाड़ियों को स्टार्ट कर फटाफट वहां से निकलने की कोशिश करने लगे। इस बीच गाड़ियों के टकराने, इग्निशन के स्पार्क या सड़क पर गाड़ियों के रगड़ से पैदा हुई चिंगारी से आसपास जमीन से चार से पांच फीट की ऊंचाई पर हवा में तैर रही गैस में आग लग गई। जितनी दूरी तक एलपीजी गैस फैली थी, वहां तक पलक झपकते ही आग की लपटें पहुंच गई। गैस के विस्फोट के दायरे में जो कोई भी आया, वह बुरी तरह झुलस गया।
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(Udaipur Kiran) / रोहित