RAJASTHAN

भांकरोटा अग्निकांड में एक और मौत, मृतकों की संख्या पहुंची उन्नीस

एलपीजी टैंकर में ब्लास्ट मामला

जयपुर, 26 दिसंबर (Udaipur Kiran) । अजमेर रोड पर भांकरोटा थाना इलाके में एलपीजी टैंकर ब्लास्ट में गंभीर रूप से झुलसे एक और व्यक्ति ने गुरुवार को एसएमएस अस्पताल में दम तोड़ दिया। इससे अब हादसे में मरने वालों की संख्या उन्नीस हो गई है। इसमें एक पूर्व आईएएस भी शामिल हैं। यह घटना जयपुर-अजमेर हाईवे पर 20 दिसंबर की सुबह हुई थी।

एसएमएस अस्पताल के डॉक्टर राकेश जैन से बताया कि 28 वर्षीय लालाराम 60 फीसदी झुलस गए थे। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनकी गुरुवार सुबह मौत हो गई। अभी भी एसएमएस हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में गंभीर रूप से झुलसे 15 मरीजों का इलाज चल रहा है। इन मरीजों में 3 वेंटिलेटर पर हैं। लालाराम के शव को एसएमएस के मुर्दाघर में रखवा दिया गया है। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम होने के बाद शव परिजनों को दिया जाएगा।

रुक नहीं रहा मौतों का सिलसिला

जयपुर-अजमेर हाईवे पर हुए हादसे के शिकार लोगों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। एसएमएस हॉस्पिटल में इलाज के दौरान बुधवार (25 दिसंबर) को 3 और मंगलवार (24 दिसंबर) को दाे मरीजों की मौत हो गई थी। 3 मरीजों को 23 दिसंबर को और 2 को 24 दिसंबर को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया गया था।

25 दिसंबर की सुबह करीब 4 बजे विजिता मीणा (22) निवासी प्रतापगढ़ (राजस्थान) और सुबह करीब साढ़े नौ बजे विजेंद्र (36) निवासी भुरीबड़ाज, पावटा (जयपुर) ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद दोपहर एक बजे के आसपास घायल बंशीलाल (35) निवासी भीलवाड़ा की भी मौत हो गई थी। विजेता और विजेंद्र क्रमश: 70-70 प्रतिशत झुलसे थे।

24 दिसंबर को भी 2 लोगों की मौत हुई थी। इसमें एटा (यूपी) के रहने वाले नरेश बाबू और नूंह (हरियाणा) के यूसुफ शामिल हैं।

गौरतलब है कि अजमेर रोड पर भांकरोटा डीपीएस स्कूल के पास में 20 दिसंबर को हुए हादसे में 4 लोग मौके पर ही जिंदा जल गए थे। 8 लोगों ने उसी दिन सवाई मानसिंह हॉस्पिटल में इलाज के दौरान दम तोड़ा था। 1 मौत जयपुरिया हॉस्पिटल में हुई थी। आग इतनी तेजी से फैली थी कि 40 से ज्यादा गाड़ियां उसकी चपेट में आ गई थी। टैंकर के ठीक पीछे चल रही एक स्लीपर बस और हाईवे किनारे मौजूद पाइप फैक्ट्री भी जल गई थी। एक्सीडेंट की वजह से बस का दरवाजा एक ट्रक से चिपक गया। इस कारण उसमें सवार 34 लोगों को बाहर निकलने की जगह ही नहीं मिली। बड़ी मुश्किल से ड्राइवर वाले गेट से लोगों को बाहर निकाला गया। आग बुझने के बाद कई शवों को पोटली में डालकर अस्पताल ले जाया गया था।

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(Udaipur Kiran)

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