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उत्तराखंड में दस लाख महिलाएं प्रशिक्षण के बाद बनेगी आपदा सखी

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेन्डई (जापान) फ्रेमवर्क क्रियान्वयन की समीक्षा बैठक करते।

—प्राथमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रम में आपदा प्रबंधन विषय होगा शामिल

—आपदा जोखिम को कम करने के लिए बीमा योजना की जाएगी तैयार

देहरादून, 22 जनवरी (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आपदा प्रबंधन विभाग को प्रदेश में 65000 से अधिक महिला स्वंय सहायता समूहों की 10 लाख से अधिक महिलाओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देकर उन्हें आपदा सखी बनाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आपदा सखी आपदाओं के दौरान ग्राम और तहसील स्तर पर राहत व बचाव कार्यों में सहायता करेंगी। इसके अलावा उन्होंने आपदा जोखिम को कम करने के लिए बीमा योजना को लागू करने को भी कहा।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने सचिवालय में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर सेन्डई (जापान) फ्रेमवर्क क्रियान्वयन की समीक्षा की। बैठक में मुख्य सचिव ने आपदा जोखिम आंकलन के लिए प्रशिक्षित अधिकारियों की कमी के मुद्दे को गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि आपदा से प्रभावित क्षेत्रों और गांवों में जोखिम आंकलन के लिए तत्काल मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाए। कहा कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अन्य देशों व राज्यों के माॅडल को अपनाने के बजाय विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड केंद्रित आपदा प्रबंधन माॅडल तैयार किया जाए। कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग आपदाओं से निपटने, राहत व बचाव के लिए फ्रेमवर्क तैयार करें। फ्रेमवर्क में एनजीओं, सिविल सोसाइटी, सामाजिक संस्थाओं व निजी विशेषज्ञों के सुझाव भी शामिल किए जाए।

मुख्य सचिव ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में बीमा योजना की कार्य योजना बनाने में ढिलाई पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने स्पष्ट किया कि आपदा सवेंदनशील राज्य में जरूरतमंदों को बीमा योजना से बड़ी मदद मिल सकती हैं। उन्होंने विभाग को इस विषय पर गंभीरता से विचार कर प्रभावी पहल करने के निर्देश दिए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने प्राथमिक विद्यालय स्तर से विद्यार्थियों के पाठयक्रम में आपदा प्रबंधन विषय को शामिल करने के निर्देश भी दिए। इसके साथ ही सैनिक कल्याण विभाग को पूर्व सैनिकों की जानकारी जुटाने को कहा। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के बाद आपदाओं के दौरान स्थानीय स्तर पर उनका सहयोग लिया जाए। मुख्य सचिव ने आपदा संवेदनशील क्षेत्रों में हल्के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता देने को कहा।

उन्होंने प्रदेशभर में उच्च आपदा जोखिम के दृष्टिगत चिन्हित गांवों की रिपोर्ट तलब की और चिन्हित ग्रामों की पुनर्वास कार्य योजना की स्थिति स्पष्ट करने को कहा। सचिव आपदा प्रबंधन ने जानकारी दी कि अभी तक पुनर्वास व अन्य कार्यों पर इस वर्ष 20 करोड़ रुपये की धनराशि व्यय की जा चुकी है। मुख्य सचिव ने प्रत्येक वर्ष आपदा से मरने वाले लोगों का डाटा भी मांगा। बैठक में सड़क हादसों में होने वाली सर्वाधिक मौतों पर चिंता जताई गई। मुख्य सचिव ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विशेष कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए हैं। बैठक में आपदा सचिव विनोद कुमार सुमन, गृह, सिंचाई, वन, पेयजल, शिक्षा, लोक निर्माण विभाग व अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal

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